लोग नहीं कर रहे मिट्टी के बर्तनों का इस्तेमाल, कुम्हारों के हाल हुए बेहाल
लोग नहीं कर रहे मिट्टी के बर्तनों का इस्तेमाल, कुम्हारों के हाल हुए बेहाल
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जयपुर: गर्मी का मौसम आते ही लोगों को अपना गला तर करने के लिए शीतल जल की आवश्यकता पड़ने लगती है. इस दौरान सबसे पहले हर किसी के दिमाग में मिट्टी के मटकों का ध्यान अवश्य आता है. आज के वक़्त में अधिकतर लोगों के घरों में फ्रीज मौजूद है. जिस वजह से मिट्टी के बर्तन के इस्तेमाल में काफी कमी आई है. जिसका मिट्टी के पुश्तैनी व्यवसाय करने वाले कुम्हारों पर काफी नकारत्मक प्रभाव पड़ा है. 

मटकों को तैयार करने वाले कुम्हारों की स्थिति आज के दौर में बेहद खस्ताहाल है. जिले के रतलाम मार्ग पर स्थित बोरतालाब गांव में मिट्टी के मटके निर्मित करने वाली बस्ती में 25 परिवार प्रजापती समाज से ताल्लुक रखते है. जो बीते 40 सालों से मिट्टी के मटके बना रहे है. ये परिवार अपने भरण पोषण के लिए पूरी तरह से इसी कारोबार पर निर्भर हैं. 

मीडिया से बात करते हुए कुम्हारों ने बताया है कि आज से 20 वर्ष पूर्व 2 रूपए से 10 रूपए में बिकने वाले मटकों की काफी मांग रहती थी. लेकिन उस समय मटके बनाने की मिट्टी जंगल से ही मिल जाती थी और उसको सेंकने के लिए लकड़िया भी जंगल में प्राप्त हो जाती थी. उस समय यह व्यवसाय काफी लाभदायक हुआ करता था, किन्तु अब हमारे भरण पोषण पर संकट आ खड़ा हुआ है.

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