जयपुर: गहलोत सरकार को उच्च न्यायलाय की ओर से एक करारा झटका लगा है। गहलोत सरकार ने नगर निगम ग्रेटर जयपुर की कमेटियों को रद्द कर दिया था। जिसके बाद महापौर सौम्या गुर्जर ने सरकार के आदेशों को चुनौती देते हुए एक याचिका दाखिल की थी। उसी याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने स्वायत्त शासन निदेशालय की तरफ से जारी किए गए तमाम आदेशों पर रोक लगा दी है।
दरअसल, बीते जनवरी में 28 तारीख को नगर निगम ग्रेटर जयपुर की बोर्ड मीटिंग में एक प्रस्ताव पारित किया गया था, जिसमें 21 समितियों व 7 अतिरिक्त समितियों के निर्माण का प्रस्ताव राज्य सरकार के पास भेजा गया था। जिसके बाद राज्य सरकार ने 25 फरवरी को एक आदेश जारी कर कहा था कि नगर निगम एक्ट 2009 की धारा 55-56 के मुताबिक, इन समितियों का गठन नहीं किया जा सकता और बाद में सरकार ने इस प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया था। ऐसे में सरकार के द्वारा जारी किये गये आदेशों के खिलाफ मेयर सौम्या गुर्जर ने अदालत में याचिका दाखिल की थी।
याचिका पर सुनवाई कर रहे न्यायाधीश अशोक गौड़ की अदालत ने सरकार के द्वारा 25 फरवरी को दिए गए आदेश पर रोक लगा दी। इस सुनवाई के दौरान महापौर की ओर से वरिष्ठ वकील जीतेन्द्र श्रीमाली, राजेंद्र प्रसाद व आशीष शर्मा पैरवी कर रहे थे तो वहीं राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता अनिल मेहता व माधव मिश्र अदालत में जिरह कर रहे थे। सुनवाई में दोनों ओर के तथ्यों व तर्कों को सुनने के बाद अदालत ने कहा कि, जिस प्रस्ताव को नगर निगम की बोर्ड मीटिंग में सर्वसम्मति से पारित किया गया हो उसे राज्य सरकार रद्द कैसे कर सकती है।
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