गाय को सम्मान देने के लिए राजस्थान सरकार प्रारंभ करने वाली है यह योजना
गाय को सम्मान देने के लिए राजस्थान सरकार प्रारंभ करने वाली है यह योजना
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गहलोत सरकार प्रदेश में देशी गोवंश की डेयरी स्थापित करेगी. इसके लिए सरकार ने कामधेनु योजना चलाई है. इस योजना के तहत बेरोजगार युवाओं व किसानों को रोजगार मुहैया कराया जाएगा. इस योजना में सरकार द्वारा युवाओं और किसानों को 90 फीसदी लोन दिया जाएगा और यदि लाभ लेने वाला तय समय में इसे वापस कर देता है तो उसे 30 फीसदी की सब्सिडी दी जाएगी.

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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सभी जिला कलेक्टरों को निर्देश देकर कहा है कि अधिक से अधिक लोगों को इस योजना से जोड़ा जाए, इसके लिए ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी कर्मचारियों को भेजकर इसके लाभ की जानकारी दी जाए. राज्य के गौपालन मंत्री प्रमोद जैन भाया ने बताया कि इस योजना के तहत कोई भी दूधारू देसी गौवंश की डेयरी का काम शुरू कर सकता है. इस डेयरी में बेहतर दुग्ध क्षमता वाली एक ही नस्ल के 30 गौवंश तक रखे जा सकेंगे. इसमें लाभार्थियों के पास गौवंश रखने के लिए पर्याप्त मात्रा में हरा चारा उगाने की जगह और गौवंश रखने का स्थान नगरीय सीमा से बाहर हो,एक एकड़ जमीन होना आवश्यक है. इस योजना का लाभ चाहने वालों को तीन साल का अनुभव आवश्यक है.जानकारी के अनुसार सरकार गौवंश का दुग्ध प्रदेश में बिकवाने का प्रबंध भी करेगी. डेयरी लगाने वालों को छोटे स्तर का चिलिंग प्लांट भी उपलब्ध कराया जाएगा,जिससे उनका दुग्ध खराब नहीं है. इस योजना का मकसद गौवंश का संरक्षण करने के साथ ही लोगों को आसानी से रोजगार उपलब्ध कराना भी है .

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इसके अलावा कोरोना महामारी में लॉकडाउन के चलते ढाई महीने से सूने पड़े राजस्थान के ऐतिहासिक किले, महल और संग्रहालय अब गुलजार होने लगे हैं. अनलॉक-1 की घोषणा के बाद केवल दो दिन में राजस्थान के पर्यटन स्थलों पर 1400 से ज्यादा लोग घूमने पहुंच गए. राजस्थान में पर्यटन उद्योग को पटरी पर लाने के लिए इसे काफी अच्छी शुरुआत माना जा रहा है. वही, राजस्थान में पर्यटन सबसे बड़े उद्योगों में से एक है. यह प्रदेश की राजधानी जयपुर सहित राजस्थान के आधे से ज्यादा जिलों की अर्थव्यवस्था में अहम योगदान करता है. कोरोना लॉकडाउन के चलते यहां के सभी ऐतिहासिक स्मारक, किले, महल और अन्य पर्यटन स्थल बंद पड़े थे. यही कारण है कि पर्यटन उद्योग को यहां बहुत बड़ा नुकसान हुआ है. आमेर महल के हाथी पालकों से लेकर उदयपुर की झीलों में नाव चलाने वाले एवं हजारों की संख्या में गाइड, हस्तशिल्प का सामान बनाने वाले और होटल, रेस्टोरेंट संचालक आदि सभी प्रभावित हुए थे. अब अनलॉक-1 के बाद पर्यटन स्थलों पर दिख रही चहल-पहल से इससे जुड़े हजारों लोगों के चेहरों पर मुस्कान लौटती दिख रही है.

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