जोधपुर: राजस्थान की एक अदालत ने एक 18 वर्षीय लड़की के विवाह को निरस्त कर दिया है . ढांढनिया भायला गांव के एक दिहाड़ी मजदूर की पुत्री मैना की शादी 26 दिसंबर, 2001 को उदयसार गांव के एक शख्स से उस समय हुई थी, जब वह महज 10 माह की थी. पुनर्वास मनोवैज्ञानिक और सारथी ट्रस्ट की प्रबंध न्यासी कृति भारती से उसने सहायता मांगी. भारती ने फरवरी में शादी ख़ारिज करने के बाबत परिवार न्यायालय में याचिका दाखिल करने में उसकी मदद की.
जोधपुर में परिवार न्यायालय-1 के न्यायमूर्ति प्रदीप कुमार जैन ने शुक्रवार को एक आदेश जारी करके बाल विवाह को रद्द कर दिया. जब मैना के ससुरालवालों को इस बात की सूचना मिली तो वे पंचों के पास गए, जिन्होंने मैना और उसके परिवार वालों को याचिका वापस लेने के लिए दबाव डाला. पंचों ने मैना के परिवार को दंड देने और उनका समाजिक बहिष्कार करने की धमकी भी दी.
हालांकि, न्यायालय द्वारा दिए गए परामर्श के दौरान मैना का पति इस शादी को निरस्त करने की बात पर सहमत हो गया. मैना ने कहा कि, 'शादी ने मुझे बर्बाद कर दिया था. बाल विवाह के रद्द होने से मुझे नई जिंदगी मिली है. अब मैं पढ़ाई करूंगी'.
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