मरीज की कुंडली देखकर ही किया जाता है इस हॉस्पिटल में इलाज
मरीज की कुंडली देखकर ही किया जाता है इस हॉस्पिटल में इलाज
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अस्पताल एक ऐसी जगह हैं जहां पर किसी भी चीज़ का इंतज़ार नहीं किया जाता बल्कि तुरंत इलाज शुरू कर दिया जाता है. लेकिन आज हम ऐसे अस्पताल के बारे में बता रहे हैं जहां पर आपकी कुंडली देखकर इलाज किया जाता है. सुनकर हैरानी हुई होगी लेकिन ये सच है. बता दें, ज्‍योतिष का आ‍धुनिक चिकित्‍सा विज्ञान में इस्‍तेमाल करने वाला एक अनोखा अस्‍पताल इस समय जयपुर में चर्चा का विषय बना हुआ है. आइये जानते हैं  इसके बारे में. 

जानकारी के अनुसार इसका नाम है यूनीक संगीता मेमोरियल हॉस्पिटल. यहां के डॉक्‍टरों का कहना है कि ज्‍योतिष विज्ञान न केवल रोगों को पहचानने में मददगार साबित हो रहा हे बल्कि यह मरीजों की काउंसलिंग में भी सहायक है. 

वहीं जयपुर के वैशाली नगर इलाके में स्थित इस अस्‍पताल के सर्जन डॉ. महेश कुलकर्णी कहते हैं, 'हम यहां ज्‍योतिष और मेडिकल साइंस का तालमेल बैठाने की कोशिश कर रहे हैं. भारतीय संस्‍कृति में ज्‍योतिष विज्ञान का बहुत महत्‍व है. हमारे यहां एक ज्‍योतिषी पंडित अखिलेश शर्मा हैं. जब मरीज आता है तो उसकी कुंडली देखकर उसकी ग्रह दशा का मूल्‍यांकन किया जाता है. इस तरह हुई मेडिकल और ज्‍योतिष जांच के परिणामों की तुलना की जाती है. इसके बाद इसी डायग्‍नोसिस के आधार पर आधुनिक तकनीक से मरीजों का इलाज किया जाता है.' 

उन्होंने आगे बताया कि 'अभी तक हमने 70 केस अटेंड किए हैं. इनमें ज्‍योतिषी ने रोग के बारे में जो कुछ भी कहा मेडिकल डायग्‍नोसिस में भी वही निकला. हमारे मरीज भी इससे संतुष्‍ट हैं.' इस समय अस्‍पताल में 22 लोगों का स्‍टाफ है, इनमें पांच डॉक्‍टर हैं. इसके अलावा इनके साथ पंडित अखिलेश शर्मा भी इस टीम का हिस्‍सा हैं. 

पंडित अखिलेश शर्मा के अनुसार, 'मैं रोज 25 से 30 कुंडलियां देखता हूं. लेकिन हम यहां ज्‍योतिष का प्रयोग केवल रोग की पहचान और जांच के लिए करते हैं. इलाज तो मेडिकल साइंस के अनुसार ही होता है. ज्‍योतिष के जरिए जांच करने से रोग का सही-सही पता चलता है और रोगी का समय भी बर्बाद नहीं होता.' इस अस्‍पताल की टीम मेडिकल साइंस और ज्‍योतिष को मिलाकर एक नया कोर्स शुरू करने जा रहे हैं. इसका नाम एस्‍ट्रोनॉमिकल साइंसेज होगा. इसके अलावा यहां स्‍टाफ के दूसरे सदस्‍यों के लिए भी ट्रेनिंग सेशन चलाने की योजना है. 

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