मुश्किल वक्त में रेलवे वाटर ट्रेन बनी प्यास बुझाने का जरिया
मुश्किल वक्त में रेलवे वाटर ट्रेन बनी प्यास बुझाने का जरिया
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पेयजल संकट से त्रस्त पाली मारवाड़ तक संचालित वाटर ट्रेन ने शनिवार को अपने 200 राउंड पूरे कर लिए है। खबरों का कहना है कि तो जोधपुर रेल मंडल के भगत की कोठी रेलवे स्टेशन से वॉटर ट्रेन के 200 फेरों से 8 हजार वैगन के माध्यम से अब तक 43.20 करोड़ लीटर पानी भेजा जा चुका है, जिससे वैगन किराया के रूप में रेलवे को तकरीबन 6.50 करोड़ का राजस्व हासिल हो चुका है।

इस बात की सूचना  देश के पहले बहुभाषी माइक्रो-ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म Koo ऐप के माध्यम से दी जा चुकी है। मिनिस्ट्री ऑफ रेलवेज़ ने अपने आधिकारिक हैंडल के माध्यम से कू करते हुए बोला है कि, ''राजस्थान के पाली में जल संकट पर अंकुश भारतीय रेलवे ने भगत की कोठी (जोधपुर) स्टेशन से पाली तक 200 फेरे पूरे कर 8000 वैगनों के माध्यम से 43 करोड़ 20 लाख लीटर पानी पहुँचाया है।''

इराजस्थान का पाली जिला पिछले कई दशकों से पानी की समस्या का सामना कर रहे है। पाली में जलस्तर और भी ज्यादा निचले स्तर तक जा चुका है। कई इलाकों में पानी बिल्कुल समाप्त हो चुका है। पाली जिले में पानी के संकट को देखते हुए ही वाटर स्पेशल ट्रेन का संचालन भी कर दिया गया है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव की पहल पर रेलवे बोर्ड द्वारा वाटर स्पेशल ट्रेन को मंज़ूरी दी जा चुकी है। पेयजल की किल्लत वाले इलाकों के लिए पानी पहुँचाने का सराहनीय कार्य किया गया है। पानी की समस्या खत्म होने तक इसी तरह वाटर स्पेशल ट्रेन चलाई जाने वाली है।

वाटर ट्रेन 17 अप्रैल को हुई थी शुरू: पाली में गहराए जलसंकट के चलते जोधपुर से वाटर ट्रेन 17 अप्रैल से शुरू की जा चुकी है। अब तक 200 फेरे पूरे हो चुके हैं। पानी की समस्या समाप्त होने तक इसी तरह वाटर स्पेशल ट्रेन चलाई जाने वाली है। यह वाटर ट्रेन उत्तर-पश्चिम रेलवे के जोधपुर मंडल के उपनगरीय भगत की कोठी रेलवे स्टेशन से भर कर भेजने का काम किया जा रहा है। 

कुछ ऐसा है गणित 
- प्रत्येक ट्रेन में कुल वैगन- 40
- वैगन की भराव क्षमता- 54 हजार लीटर
- 40 वैगन में कुल भराव- 21 लाख 60 हजार लीटर
- 2 जुलाई तक फेरों की संख्या- 200
- अब तक पेयजल की सप्लाई- 43 करोड़ 20 लाख लीटर
- एक फेरे से रेलवे का राजस्व- 3 लाख 27 हजार रुपये 
- 200 फेरों से अब तक प्राप्त राजस्व- 6 करोड़ 53 लाख 16 हजार 600 रुपये 

इतिहास में भी पहुँचाया गया पानी: स्टेट गवर्नमेंट ने पाली जिले में पानी की किल्लत को देखते हुए रेलवे से ट्रेन की भी अपील की थी। रेलवे ने छुट्टियों के दिनों में भी रात-दिन काम करके ऑयल टैंक की सफाई की और उसे वाटर ट्रेन में तब्दील कर दिया गया था। दूसरी तरफ, PHD विभाग के अधिकारियों तथा कर्मचारियों ने टीम लगाकर पानी की सप्लाई सहित ट्रेन के वैगन में पानी भरने को लेकर तमाम सुविधाएँ मुहैया करवाना जरुरी है।

खबरों का कहना है कि 30 वर्ष  पहले पाली के जवाई बांध से नहर के जरिए जोधपुर तक पानी लाया जाने वाला है। 20 वर्ष में पहली बार इतने लंबे वक़्त तक वाटर ट्रेन चलाई जाने वाली है। इसके लिए राज्य सरकार ने अलग से बजट की भी घोषणा की है। करीब तीन महीने तक चलने वाली इस ट्रेन पर 16 करोड़ रुपये खर्च करने पड़ेंगे।

पहले कब-कब चली वाटर स्पेशल ट्रेन?
2002 में पहली वाटर ट्रेन पाली भेजी गई थी।
2005 में दूसरी बार पाली के लिए जोधपुर से वाटर ट्रेन रवाना की गई थी।
2009 में तीसरी बार ट्रेन चलाई गई।
2016 में सभी तैयारी होने के बाद ट्रेन रोक ली गई।
2019 में चौथी बार ट्रेन जोधपुर से पाली पहुँची।
2021 में तैयारी के बाद बारिश आने से ट्रेन रोक ली गई।
17 अप्रैल 2022 को जोधपुर से पाली जिले के लिए वाटर स्पेशल ट्रेन की शुरुआत की गई।

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