नई दिल्ली: लॉकडाउन ने कोरोना वायरस के प्रसार को तो कम किया, किन्तु इसके साथ ही कई सारी आर्थिक परेशानियां भी खड़ी हो गई हैं. ऐसे में सरकार के सामने लोगों को कोरोना संकट और उसके कारण हुए आर्थिक नुकसान दोनों से निपटने की चुनौती है. पीएम नरेंद्र मोदी ने हाल ही में 20 लाख करोड़ रुपये के विशेष आर्थिक पैकेज की घोषणा की है.
इस पर अब कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने सरकार की सहायता को किसानों, व्यापारियों और प्रवासी मजदूरों के लिए नाकाफी करार दिया है. उन्होंने कहा है कि सरकार की सहायता कर्ज का पैकेट नहीं होना चाहिए. किसान, प्रवासी मजदूरों की जेब में सीधा पैसा जाना चाहिए. कांग्रेस नेता ने कहा कि, 'सड़क पर चलने वाले प्रवासी श्रमिकों को कर्ज नहीं पैसे की आवश्यकता है. बच्चा जब रोता है तो मां उसे लोन नहीं देती, उसे चुप कराने का उपाय निकालती है, उसे ट्रीट देती है. सरकार को साहूकार नहीं, मां की तरह वर्ताव करना होगा.' उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों के लिए सरकार, विपक्ष और मीडिया सभी को एकसाथ मिलकर काम करना चाहिए. प्रभावित सभी लोगों के बैंक खाते में सरकार को सीधे पैसे पहुंचाना चाहिए.
राहुल गांधी ने सरकार के फैसले को लेकर कहा है कि, 'कहा जा रहा है कि राजकोषीय घाटा बढ़ने के कारण एजेंसियों की नजर में भारत की रेटिंग कम हो जाएगी. मेरा मानना है कि अभी भारत के बारे में सोचिए, रेटिंग के बारे में नहीं. भारत के सभी लोग यदि ठीक रहेंगे तो एक बार फिर से मिलकर काम करेंगे और रेटिंग अपने आप सही हो जाएगी.'
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