राहुल गाँधी का इस्तीफा: समझदारी भरा कदम या सबसे बड़ी सियासी भूल ?
राहुल गाँधी का इस्तीफा: समझदारी भरा कदम या सबसे बड़ी सियासी भूल ?
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नई दिल्ली: राहुल गांधी ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया है. इस्तीफे का पत्र सार्वजनिक कर आगे की सारी संभावनाओं को राहुल ने समाप्त कर दिया. इसके साथ ही उन्होंने कांग्रेस को 'गांधी परिवार' से मुक्त रखने की दिशा में भी कदम आगे बढ़ा दिया है. इसी को देखते हुए राहुल गांधी ने एक नई लकीर भी खींच दी है कि कांग्रेस का नया प्रमुख 'गांधी परिवार' के बाहर का ही होगा.

राहुल गांधी ने यह निर्णय ऐसे समय में लिया है जब पार्टी अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है. इतना ही नहीं लोकसभा चुनाव के बाद पार्टी हर तरफ से मझधार में फंसी हुई दिखाई दे रही है. ऐसे राजनितिक माहौल में कांग्रेस अध्यक्ष पद छोड़ना और नए सियासी प्रयोग के लिए जो कदम उठा रहे हैं उससे यह सवाल खड़ा होता है कि राहुल कहीं बड़ी राजनितिक गलती तो कर रहे हैं.

राहुल गांधी के इस फैसले के साथ ही यह स्पष्ट हो गया है कि 21 वर्ष बाद कांग्रेस की बागडौर एक बार फिर नेहरू-गांधी परिवार से बाहर किसी और नेता के हाथ में होगी. पूर्व पीएम इंदिरा और राजीव गाँधी के बाद 'गांधी परिवार' से सोनिया गांधी 1998 में अध्यक्ष बनीं और 2017 तक इस पद पर बनी रहीं. इस दौरान कांग्रेस 10 साल तक केंद्र की सत्ता पर शासन करती रही.  

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