अर्थव्यवस्था के लिए चिंता का विषय है निवेश में कमी
अर्थव्यवस्था के लिए चिंता का विषय है निवेश में कमी
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जहाँ एक तरफ देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा "मेक इन इंडिया" प्रोजेक्ट की शुरुआत देश में प्रत्यक्ष निवेश को बढ़ावा दिया जा रहा है. वही दूसरी तरह रिज़र्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन का यह कहना है कि सार्वजानिक और निजी क्षेत्रो में निवेश में गिरावट का दौर बना है जोकि अर्थव्यवस्था को भी नुकसान पहुँच सकता है. लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी माना है कि विदेशी पूंजी निवेश के कारण इस गिरावट से उभरने में भी मदद मिलने वाली है.

राजन ने साथ ही यह भी बताया है कि पूंजी निवेश के कमजोर रहने के कारण देश का आर्थिक विकास भी बहुत हद तक बाधित हुआ है. यहाँ तक की देश की करीब 30 फीसदी कंपनियां ऐसी है जो उनकी क्षमता के निचे काम कर रही है. और साथ ही कई कंपनियां तो ऐसी भी है जो निवेश के क्षेत्र में अपना हाथ ही नहीं डालना चाहती है. इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया है कि आर्थिक स्तर पर निवेश ही सबसे बड़ी समस्या के रूप में सामने आ रहा है.

पिछले कुछ समय के दौरान जहाँ सार्वजानिक निवेश कमजोर हुई है वहीँ निजी निवेश में भी कमजोरी देखी जा रही है. गौरतलब है कि रिज़र्व बैंक के द्वारा चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान में कटौती की गई है और इस कटौती के साथ इसे 7.6 फीसदी से घटाकर 7.4 फीसदी कर दिया गया है. लेकिन इसके बावजूद भी RBI का यह मानना है कि देश की आर्थिक वृद्धि दर चीन से अधिक नहीं होने वाली है.

उन्होंने साथ ही इस बारे में भी जानकारी दी है कि जनवरी से लेकर जून माह के बीच में देश में कुल FDI 30 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 19.4 अरब डॉलर पर पहुँच गया है.इसके साथ ही भारत के द्वारा कई क्षेत्रो में FDI नियमों के तहत ढील भी दी गई है. इस दौरान रघुराम राजन ने फ़ेडरल रिज़र्व के द्वारा बधाई जाने वाली ब्याज दरों को लेकर भी बात की है. गौरतलब है कि कुछ समय पहले भी इस मामले को लेकर राजन ने यह कहा था कि भारत फ़ेडरल के हर फैसले के लिए तैयार है.

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