15 अगस्त से पहले आज के दिन भी बना था इतिहास, जानकर छलक जाएंगे आंसू
15 अगस्त से पहले आज के दिन भी बना था इतिहास, जानकर छलक जाएंगे आंसू
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नई दिल्ली: भारत की स्वतंत्रता को इस 15 अगस्त को 74 साल पूरे हो जाएंगे। देशभर में स्वाधीनता दिवस की तैयारियां जोरों-शोरों से चल रही है, लाल किले पर सुरक्षा के कड़े व्यवस्था की जा रही हैं। स्वाधीनता दिवस मनाने से पूर्व हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि इस स्वतंत्रता के लिए भारत के महान वीरों ने अपने खून की आहुति दी है। 15 अगस्त से ठीक पहले एक और ऐतिहासिक दिनांक आती है जिसने भारत को स्वतंत्रता दिलाने में महत्वपूर्ण किरदार निभाया, आज वही ऐतिहासिक दिन है। जी हां, 08 अगस्त, 1942 ही वो दिनांक थी जब देश को आजादी दिलाने के लिए अंग्रेजों के विरुद्ध 'भारत छोड़ो आंदोलन' का आरम्भ हुआ। भारतीय स्वाधीनता संग्राम में ये मुहिम मील का पत्थर सिद्ध हुआ तथा इसके पांच वर्ष पश्चात् ही अंग्रेजों को भारत से उल्टे पांव अपने घर लौटना पड़ा था।

वनइंडिया हिंदी आज से 15 अगस्त तक 'स्वतंत्रता दिवस स्पेशल वीक' मना रहा है जिसमें हम आपको भारत की स्वतंत्रता से संबंधित ऐसी ही अहम घटनाओं से पूरे हफ्ते रूबरू कराएंगे। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि आखिर 'भारत छोड़ो आंदोलन' क्या था तथा इसका आरम्भ कब, क्यों और कैसे किया गया। 'भारत छोड़ो आंदोलन' द्वितीय विश्वयुद्ध के वक़्त 8 अगस्त 1942 को शुरू किया गया था, जिसका मकसद भारत मां को अंग्रेजों की गुलामी से स्वतंत्रत कराना था। ये आंदोलन देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की तरफ से चलाया गया था। बापू ने इस आंदोलन का आरम्भ अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के मुम्बई अधिवेशन से की थी। इस अवसर पर महात्मा गाधी ने ऐतिहासिक ग्वालिया टैंक मैदान (अब अगस्त क्रांति मैदान) से देश को 'करो या मरो' का नारा दिया था।

वैसे तो भारत में 1857 से ही स्वाधीनता संग्राम आरम्भ हो गया था मगर इस लड़ाई में गांधी जी के आने के पश्चात् विरोध अहिंसात्मक और शांतिपूर्ण होने लगे। इस मध्य महात्मा गांधी ने कई प्रकार के आंदोलनों का आरम्भ किया जिसने अंग्रेजी हुकूमत को ब्रिटेन तक हिलाकर रख दिया। 'भारत छोड़ो आंदोलन' को आजादी की लड़ाई के लिए अंग्रेजों के ताबूत पर ठोकी गई अंतिम कील माना जाता है। द्वितीय विश्वयुद्ध के वक़्त क्रिप्स मिशन के नाकाम होने के पश्चात् महात्मा गांधी ने एक और बड़ा आन्दोलन शुरू करने का निश्चय लिया जिसे 'भारत छोड़ो आन्दोलन' का नाम दिया गया। इस आंदोलन में पुरे भारत से लाखों के आंकड़े में व्यक्तियों ने भाग लिया था।

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