आखिर पैरालंपिक मेडल विजेताओं के साथ सर्वोच्च सम्मान का भेदभाव क्यों ?
आखिर पैरालंपिक मेडल विजेताओं के साथ सर्वोच्च सम्मान का भेदभाव क्यों ?
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नई दिल्ली : रियो पैरालंपिक खेलों में मेडल लाने वाले भारतीय खिलाड़ियों को प्रतिष्ठित राजीव गांधी खेल रत्न अवार्ड देने की मांग उठ रही है। गुरुवार को महान एथलीट मिल्खा सिंह ने कहा कि पैरालंपिक एथलीट भी देश के सर्वोच्च सम्मान और पुरस्कार पाने के हकदार हैं।

एक दिन पहले केंद्रीय खेल मंत्री विजय गोयल ने पैरालंपिक खिलाड़ियों को खेल रत्न पुरस्कार देने के सवाल पर कहा था, "हमारे पैरालंपियन ने रियो पैरालंपिक में अब तक चार मेडल जीतकर भारत को गौरवांवित किया है। लेकिन जहां तक पुरस्कार का सवाल है तो अब तक पैरालंपियन के लिए ऐसी किसी नीति पर कोई फैसला नहीं किया गया है।" अब भारतीय सरकार की एजेंसी प्रेस इनफार्मेशन ब्यूरो (पीआईबी) और युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय की साइट पर राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार की योग्यता को लेकर अलग-अलग मापदंड दिख रहे हैं।

3 फरवरी, 2014 को पीआईबी की एक नोट के अनुसार खेल रत्न के लिए ओलंपिक मेडल विजेताओं जिसमें समर, विंटर और पैरालंपिक तीनों खेल शामिल हैं उन्हें 90 फीसदी वेटेज दिया जाएगा।

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