अब क़तर से बिना इज़ाज़त घर लौट सकेंगे भारतीय
अब क़तर से बिना इज़ाज़त घर लौट सकेंगे भारतीय
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दोहा: खाड़ी देशों में काम करने वाले विदेशी मजदूरों के लिए खुशखबरी है, खाड़ी देश क़तर ने एक नया नियम लागू किया है, जिसके तहत अब विदेशी मजदूरों को देश छोड़ने के लिए अपने मालिकों से अनुमति लेने की जरूरत नहीं होगी. क़तर ने अपने आवासीय क़ानून में कुछ संशोधन किए हैं, जिसके तहत अब प्रवासी श्रमिक अपने नियोक्ता से मंजूरी लिए बगैर देश छोड़ सकते हैं. अंतरराष्ट्रीय श्रमिक संगठन (आईएलओ) ने भी क़तर के इस कदम की सराहना की है. इससे पहले पिछले साल कतर ने श्रमिक कानूनों में सुधार समेत, वीजा नियमों में बदलाव किए जाने को लेकर प्रतिबद्धता जाहिर की थी.

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गौरतलब है कि कई श्रमिक और मानवाधिकार संगठन कतर और अन्य खाड़ी देशों में चलने वाले "कफाला स्पॉन्सरशिप सिस्टम" के खिलाफ आवाज़ उठाते आए हैं, इस सिस्टम के तहत अकुशल विदेशी मजदूरों को अपने लिए किसी स्पॉन्सर की जरूरत होती है, जो वीजा और कानूनी प्रक्रिया की देखरेख करता है, यह स्पॉन्सर ही उनका नियोक्ता हो जाता है, इन अकुशल मजदूरों से निर्माण क्षेत्र और घरेलू सेक्टरों में काम कराया जाता है. दरअसल, क़तर विदेशी मजदूरों का शोषण करने के लिए कुख्यात है, इसलिए 2022 में होने वाले फुटबॉल विश्वकप की मेजबानी करने जा रहा कतर, इस तरह के आरोपों से मुक्त हो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छवि सुधारना चाहता है.

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क्या है क़तर में विदेशी मजदूरों का हाल

1 - कतर में अनुमानित 1.8 मिलियन प्रवासी श्रमिक हैं.

2 - इनमे से 6 लाख के करीब श्रमिक भारतीय हैं, जबकि 5 लाख नेपाली हैं.

3 - भारतीय दूतावास के आंकड़ों से पता चलता है कि क़तर में 2010 में 233 भारतीय प्रवासियों की मृत्यु हो गई

थी और 2011 में 239 मौतें हुई.

4 - अगर कुल आंकड़ों की बात करें तो पिछले चार साल में 974 भारतीय प्रवासी क़तर में मारे जा चुके हैं.

5 - वहीं नेपाली श्रमिकों की बात की जाए तो पिछले 2 सालों में 382 नेपाली श्रमिकों की मौत हो गई है.

6 -इंटरनेशनल ट्रेड यूनियन कन्फेडरेशन ने, 2022 विश्व कप टूर्नामेंट से संबंधित परियोजनाओं के चलते 7000

श्रमिकों के मारे जाने की आशंका जताई है.

7 अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के मुताबिक, 475 पौंड (लगभग 43 हज़ार रूपये) भारतीय निर्माण श्रमिकों का औसत

मासिक वेतन है, जिसके लिए उन्हें हफ्ते में 60 घंटे काम करना होता है.

8 - अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के मुताबिक,262 पौंड (लगभग 24 हज़ार रूपये) नेपाली निर्माण श्रमिकों का औसत

मासिक वेतन है, जिसके लिए उन्हें हफ्ते में 70 घंटे काम करना होता है.

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