शुक्रवार को पंजाब विधानसभा के बुलाए गए एकदिवसीय सत्र में कोरोना संकट के कारण एमएलए की एंट्री भले ही प्रश्नों में घिरी है, किन्तु सदन के भीतर माहौल बहुत हंगामेदार रहने के प्रभाव दिखाई दे रहे हैं. विपक्ष के तरकश में सरकार पर हमलावर होने के लिए ढेरों मुद्दों के तीर हैं जबकि राज्य सरकार इस बार पूरी तरह सुरक्षात्मक मोड में है और कोरोना विपत्ति का हवाला देकर स्वंय को हमलों से बचा लेने की सहायता कर रही है.
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सदन में विपक्षी सदस्यों द्वारा गवर्नमेंट को घेरने का प्रयास इसी बात से हो सकती है कि गवर्नमेंट एक दिन का सत्र बुलाकर जनता के मसलों से भाग रही है. इसके बाद जहरीली शराब, अवैध शराब उत्पादन, शराब की तस्करी, कृषि अध्यादेश, कर्मचारियों की लंबित मांगें, कोरोना से निपटने में असफलता जैसे मसले रहेंगे, जिन पर हंगामा तय माना जा रहा है.
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विपक्ष की तरफ से गवर्नमेंट पर आरोपों की सिलसिला वीरवार को ही प्रारंभ हो गया, जब अकाली दल के बागी एमएलए और पूर्व वित्त मंत्री परमिंदर सिंह ढींढसा ने आरोप लगाया है. जिसमें उन्होने कहा कि स्पीकर से कृषि अध्यादेशों के बारे में बिल पेश करने की इजाजत मांगी थी, किन्तु नहीं मिली.परमिंदर ने कहा कि उन्होंने 21 अगस्त को विधानसभा कार्य नियमावली के नियम 71 के अधीन तीन कृषि अध्यादेशों पर बहस कराने के लिए नोटिस दिया था, जिसमें नियम 77 का हवाला देकर नामंजूर कर दिया गया. क्योंकि इस समन के आधार पर कृषि अध्यादेशों पर बहस होती और वोटिंग भी. किन्तु कांग्रेस और अकाली दल बादल यह करवाना नहीं चाहते.
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