पंजाब में AAP को मिली संजीवनी, सत्ताधारी कांग्रेस व शिअद की हालत हुई खराब
पंजाब में AAP को मिली संजीवनी, सत्ताधारी कांग्रेस व शिअद की हालत हुई खराब
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पंजाब में राजनीतिक नफा-नुकसान की समीक्षा शुरू हो गई है. इस समीक्षा की वजह है, दिल्ली में आम आदमी पार्टी की बंपर जीत. शिरोमणि अकाली दल के साथ ही 80 विधायकों के साथ पंजाब विधानसभा में दो तिहाई बहुमत रखने वाली सत्तारूढ़ कांग्रेस के माथे पर भी जहां बल पड़ने लगा है, वहीं प्रदेश में आप कार्यकर्ताओं में उत्साह बढ़ गया है. दिल्ली की जीत ने पार्टी को संजीवनी दे दी है. काफी समय से निष्क्रिय पड़े पार्टी कार्यकर्ताओं ने दिल्ली चुनाव के नतीजे आते ही प्रदेशभर में जीत का जश्न मनाया. 

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मीडिया रिपोर्ट के अनुसार 2014 के लोकसभा चुनाव में आप को सिर्फ पंजाब में चार सीटें मिली थीं. 2017 के पंजाब विधानसभा चुनाव में वह विकल्प के तौर पर उभरी थी। यह अलग बात है कि उसे अपेक्षित कामयाबी नहीं मिल पाई. पार्टी 100 से अधिक सीटें जीतने का दावा कर रही थी, लेकिन 20 पर ही सिमट गई. फिर भी प्रदेश में उसे विपक्ष का दर्जा मिला, लेकिन इसके बाद से उसका ग्राफ लगातार गिरता गया. लोक इंसाफ पार्टी के साथ उसका समझौता टूटा.

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वही दूसरी ओर नेता प्रतिपक्ष एचएस फूलका ने पार्टी और विधायक पद से इस्तीफा दे दिया. विधायक सुखपाल सिंह खैहरा ने भी पार्टी छोड़ दी. उसके बाद से अब तक नाजर सिंह मानशाहिया, अमरजीत सिंह संदोआ, मास्टर बलदेव सिंह जैसे विधायक भी आप से निकल चुके हैं. पंजाब में भले ही आप तीन वर्षों से नेतृत्व का संकट झेल रही हो, लेकिन दिल्ली की जीत ने पार्टी में उत्साह का संचार कर दिया है.

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