नई दिल्ली: प्याज और दाल के भाव आज कल आसमान छू रहे है. थोक मूल्यों पर आधारित महंगाई की दर लगातार सातवें महीने शून्य से नीचे रही है. मई, 2015 में यह आकड़ा शून्य से 2.34 फीसद नीचे रहा. लेकिन, जिस तरह से दालों और प्याज की कीमतो में इजाफा हो रहा है ये सरकार के लिए सरदर्द है. बढ़ते दामो के बावजूद विशेषज्ञों की राय है कि आगामी दिनों में थोक महंगाई की स्थिति में कोई बहुत ज्यादा वृद्धि की सम्भावना नहीं है. इसके चलते उद्योग जगत की तरफ से ब्याज दरों में कमी करने को लेकर लगातार दबाव बनाया जा रहा है.
अप्रैल, 2015 में थोक मूल्य आधारित महंगाई आंकड़े का दर शून्य से 2.65 फीसद नीचे थी. मई में इसमें थोड़ा इजाफा हुआ लेकिन अभी भी शून्य से 2.34 फीसद नीचे है. अच्छे दिन की सरकार के एक साल का ब्यौरा दे तो मई, 2014 में महंगाई की दर 6.18 फीसद थी. देश की बढ़ती महंगाई को मुद्दा बना कर सरकार बनाने वाली मोदी सरकार के लिए राहत की बात है की बीते साल महंगाई में कुछ ज्यादा इजाफा नहीं हुआ है.
दाल, प्याज के अलावा मीट, अंडा, फलों और दूध जैसे प्रोटीन उत्पादों की कीमतों में तेजी की सम्भावना है, विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को अब अपना ध्यान इन उत्पादों की आपूर्ति पक्ष पर देना चाहिए ताकि देर समय पर महंगाई पर नियंत्रण किया जा सके. दाल की आपूर्ति बढ़ाने के लिए सरकार ने हाल ही में ऐसा निर्णय लिया हैं. इसके बावजूद खाद्य उत्पादों की कीमतों में 3.80 फीसद की वृद्धि हुई है जिसे जानकार बहुत चिंताजनक बता रहे है.
सीआइआइ के महासचिव चंद्रजीत बनर्जी ने कहा है कि खाद्य उत्पादों में तीन-चार फीसद की वृद्धि चिंता का विषय नहीं है. यह इस बात का संकेत है कि महंगाई की दर में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी नहीं हुई है. ऐसे में रिजर्व बैंक को ब्याज दरों को घटाने को लेकर ज्यादा समस्या खड़ा नहीं करनी चाहिए क्योंकि महंगाई की दर केंद्रीय बैंक के लक्ष्यों के अनुसार ही है. फिक्की की अध्यक्ष ज्योत्स्ना सूरी का कहना है कि मानसून के सामान्य से कम रहना एक समस्या है लेकिन सरकार ने जिस तरह से इससे निपटने का प्रारूप तैयार किया है उसे देख कर महंगाई ज्यादा बढ़ने के आसार नहीं है.
विशेषज्ञों का मानना है कि महंगाई की वर्तमान स्थिति के बाद अब अगर मानसून साथ दे दे तो ब्याज दरों में तेजी से कमी करने का मार्ग बन जाएगा. रिजर्व बैंक मानसून की स्थिति के साफ़ होने का इंतजार कर रहा है. उसके बाद महंगाई के स्तर में इजाफा नहीं हुआ तो ब्याज दर में कटौती होने की पूरी सम्भावना है.