आज विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस है. मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों पर जागरूकता लाने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा प्रति वर्ष पूरे विश्व में 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है. वर्ष 1992 से इसकी शुरुआत की गई. मनोचिकित्सकों के अनुसार जब किसी व्यक्ति की भावनाएँ, विचार अथवा व्यवहार दूसरे लोगों के लिए समस्या बन जाए तो ऐसे लोगों को मानसिक रोगी समझा जाता है.लेकिन जागरूकता के अभाव में इसे पागलपन समझा जा सकता है.जो कि उचित नहीं है. दुनियाभर में करीब 45 करोड़ व्यक्ति मानसिक बीमारी या तंत्रिका संबंधी समस्याओं से ग्रसित हैं.
उल्लेखनीय है कि मानसिक रोग मस्तिष्क में रासायनिक असंतुलन से होता है. इस रोग में रोगी के सोचने, महसूस करने और कार्य करने की शक्ति प्रभावित हो जाती है. इसके पीछे तनाव, चिंता , एकाकीपन,आत्मसम्मान में कमी, दुर्घटना, अनुवांशिक असामान्यताएं,मस्तिष्क में चोटया दोष, नशा, संक्रमण हिंसा या दुष्कर्म होने जैसे कारण जिम्मेदार होते हैं.
मनोचिकित्सक डॉक्टर समीर पारेख के मुताबिक जब तक समस्या बड़ी नहीं हो जाती तब तक लोगों का ध्यान मानसिक बीमारियों की ओर नहीं जाता. जबकि कुछ लोग मानसिक बीमारी को पागलपन समझ बैठते हैं. मानसिक बीमारियों की पहचान करना अब मुश्किल नहीं रहा है, क्योंकि इस दिशा में विज्ञान ने बहुत प्रगति कर ली है. समय रहते सही मनोचिकित्सक के पास जाने से इस बीमारी का पता लगाया जा सकता है और उसके दुष्प्रभाव सामने आने से पहले ही उसका इलाज संभव है. वहीँ मनोचिकित्सक डॉ. अमित का कहना है कि मानसिक रोगियों के लक्षण आसानी से इसलिए दिखाई नहीं देते हैं, क्योंकि मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्ति में दिमागी विकार होता है.
आपको बता दें कि मानसिक रोगी पागल नहीं होते हैं, बल्कि वे अपने परिजनों और समाज से मिली उपेक्षा, असफलता अथवा अन्य रासायनिक कारणों से इस बीमारी के शिकार हो जाते हैं. ऐसे रोगी हमारी सहानुभूति और सहयोग के पात्र हैं, जिनकी दिल से मदद कर सामाजिक धारा में लौटाया जा सकता है. अन्धविश्वास के चलते अन्य इलाज को छोड़कर इनका मनोचिकित्सकों से तुरंत इलाज करवाना चाहिए. इसके लिए समाज में जागरूकता लाने की जरूरत है. यही आज के विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस का उद्देश्य भी है.
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