सदगुणों की रोशनी तभी जन-जन तक पहुंचेगी, जब हम पद के अनुरूप नम्रता और ज्ञानार्जन का भी प्रयास करेंगे। आज समाज को ऐसे ही रत्नों की जरूरत है, जो अज्ञान के अंधकार और अंहकार को दूर कर अपने आचार-विचार से जिनशासन के सिद्धांतों और संदेशों को जन-जन तक पहुंचाए। आत्म कल्याण का मार्ग ज्ञान से ही खुलता है।
यह बात आचार्य विश्वरत्न सागर सूरीश्वर महाराज ने कही। उन्होंने कहा कि रामायण के चारों भाई राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न सकारात्मक विचारों के थे। प्रत्येक भाई में कोई न कोई गुण था। अपने गुणों से ही इंसान ऊंचा बनता है। हमारी सोच जितनी व्यापक होगी, व्यक्तित्व भी उतना ही आभावान होगा। इन चारों भाईयों के चरित्र को आज के युग में भी अनुकरणीय माना जाता है।
देवताओं ने भी हर्ष मनाया
दशासन के अत्याचार से चहुंओर त्राहि-त्राहि मची हुई थी। ऐसे में अत्याचार का नाश करने अयोध्या में राजा दशरथ के घर प्रभु राम का जन्म हुआ। श्री राम के जन्म से जहां अयोध्या आल्हादित हो गई, वहीं देवताओं ने भी हर्ष मनाया। जन्म के समय ही निमित्त ज्ञानी ने राजा-रानी को बताया कि यह बालक हाथी के समान शक्तिशाली धीर-गंभीर होगा। शेर की तरह पराक्रमी होगा। सूर्य के समान तेजस्वी होने के साथ ही चंद्रमा की तरह शीतल व्यक्तित्व का धनी होगा। उसे क्रोध का स्पर्श नहीं के बराबर होगा।
यह सद्विचार जैन संत छुल्लक ध्यान सागर महाराज ने गुरुवार को व्यक्त किए। का नरेश दशासन के अत्याचार से चहुंओर त्राहि-त्राहि मची हुई थी। ऐसे में अत्याचार का नाश करने अयोध्या में राजा दशरथ के घर प्रभु राम का जन्म हुआ। श्री राम के जन्म से जहां अयोध्या आल्हादित हो गई, वहीं देवताओं ने भी हर्ष मनाया। जन्म के समय ही निमित्त ज्ञानी ने राजा-रानी को बताया कि यह बालक हाथी के समान शक्तिशाली धीर-गंभीर होगा। शेर की तरह पराक्रमी होगा। सूर्य के समान तेजस्वी होने के साथ ही चंद्रमा की तरह शीतल व्यक्तित्व का धनी होगा। उसे क्रोध का स्पर्श नहीं के बराबर होगा। यह सद्विचार जैन संत छुल्लक ध्यान सागर महाराज ने व्यक्त किए।
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