भोपाल. देश के ह्रदयस्थल मध्यप्रदेश से खबर आ रही है की अब जो भी प्रोफेसर खुद को खराब सेहत के कारण कार्य करने के लिए सक्षम नही मान रहा है उनकी छुट्टी कर दी जाए. व अब वहां पर कार्य करने में अक्षम प्रोफेसर को सेवा मुक्त किया जाएगा, अपने फैसले के तहत सरकार ने कहा है की हम ऐसे प्रोफेसरों की छुट्टी करने वाले है जो की 20 साल की सेवा या 50 साल की उम्र को आधार बनाकर अपनी खराब सेहत का हवाला दे रहे है व इस फैसले के मूल में है तबादला रद्द कराने के लिए लगाए गए उनके मेडिकल सर्टिफिकेट।
व इसके पीछे अंदेशा है की वहां पिछले महीने हुए बड़े पैमाने पर प्रोफेसर्स के तबादले, इन तबादलो में करीब एक हजार प्रोफेसरों के तबादले हुए है, तथा इनमे से 25 फीसदी प्रोफेसरों को अपने नए स्थान पर जाना मंजूर नही है व इसके लिए उन्होंने अपने खराब स्वास्थ्य का बखान किया है. उच्च शिक्षा विभाग ने इस पर गंभीरता से विचार विमर्श करते हुए कहा की ऐसे प्रोफेसरों को सेवानिवृत्ति देना ही उचित है ताकि वे अपने स्वास्थ्य का ख्याल अच्छे ढंग से रख सकें. व इसके लिए उच्च शिक्षा मंत्री उमाशंकर गुप्ता ने जांच के लिए एक समिति के गठन का फैसला लिया है.