भोपाल/ मध्य प्रदेश: मध्य प्रदेश में निजी स्कूलों की मनमानी के खिलाफ उठ रही आवाजों के बीच सरकार ने इन विद्यालयों को हर साल 10 फीसदी तक शिक्षण शुल्क बढ़ाने की अनुमति दे दी है। हालांकि, यूनिफॉर्म में बदलाव पांच वर्ष में ही किया जा सकेगा। राज्य में हर वर्ष नए शैक्षिक सत्र की शुरुआत के साथ ही अभिभावकों को निजी स्कूलों की नई नियम शर्तो के चलते कई तरह की समस्याओं से गुजरना पड़ता है। कहीं फीस बढ़ाई जाती है, तो कहीं स्कूल विकास के नाम पर मनमानी वसूली की जाती है। इस बार राजधानी भोपाल सहित कई अन्य जगहों पर इनके खिलाफ विरोध स्वर मुखर हो उठा है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार को शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों की बैठक ली। इसके बाद शिक्षा विभाग ने दिशा-निर्देश जारी किए। विभाग ने तय किया है कि अशासकीय विद्यालय पांच वर्ष से पहले यूनिफॉर्म में बदलाव नहीं कर सकेंगे। फीस, किताबें, यूनिफॉर्म व अन्य से संबंधी समस्त जानकारी स्कूल नोटिस बोर्ड अथवा वेबसाइट पर भी उपलब्ध कराई जाएगी। इसके अलावा प्रति व्यक्ति शुल्क (कैपिटेशेन फीस) दान या उपहार के नाम पर कोई राशि नहीं ली जाएगी। शिक्षण संस्थानों को प्रत्येक वर्ष अपने लेखों का ऑडिट कराना अनिवार्य होगा। इन लेखों को सार्वजनिक रूप से नोटिस बोर्ड या वेबसाइट पर प्रकाशित करना भी अनिवार्य होगा।
शिक्षा विभाग का निर्देश है कि कि शुल्क का निर्धारण इस प्रकार होना चाहिए कि वार्षिक लेखों की राशि वर्षभर की प्राप्तियों का 10 फीसदी से अधिक न हो। स्कूल यदि इससे ज्यादा वृद्धि करना चाहता है, तो उसे संभाग स्तरीय शुल्क निर्धारण समिति के सामने अपना तर्क रखना होगा। विभाग के यह दिशा-निर्देश मध्यप्रदेश माध्यमिक शिक्षा मंडल, केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा मंडल, आईसीएससी बोर्ड एवं अन्य अधिमान्य बोर्ड से मान्यता प्राप्त 12वीं तक के सभी अशासकीय विद्यालयों एवं शिक्षण संस्थानों पर लागू होंगे।
इसके अलावा विद्यालय में निरंतर अध्ययनरत विद्यार्थियों से अगली किसी कक्षा में प्रवेश के लिए दोबारा प्रवेश शुल्क नहीं लिया जाएगा। प्रवेश शुल्क की राशि एक वर्ष के शिक्षण शुल्क की राशि से अधिक नहीं होगी। विभाग के निर्देशों के अनुसार, शैक्षिक सत्र शुरू होने के एक माह के भीतर विद्यालयों में अभिभावक-शिक्षक संघ का गठन जरूरी होगा। विद्यालयों में प्रवेश के लिए आवेदन शुल्क 10 रुपये से ज्यादा नहीं होगा। निजी स्कूल, एनसीईआरटी, मध्यप्रदेश पाठ्य पुस्तक निगम या निजी प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित पाठ्य पुस्तकों में से शिक्षण के लिए पुस्तकों का चयन कर सकेंगे। अभिभावक शिक्षण सामग्री, यूनिफॉर्म व जूते आदि चीजें अपने मनचाहे बाजार से खरीदने को स्वतंत्र होंगे।