प्रधानमंत्री की ऐतिहासिक अमेरिका यात्रा

प्रधानमंत्री की ऐतिहासिक अमेरिका यात्रा
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प्रधानमंत्री की ऐतिहासिक वाली अमेरिका यात्रा व संयुक्त राष्ट्र संघ में दिया समय से ज्यादा भाषण 125 करोड़ लोगो की सरकार का प्रधानमंत्री हो या सिर्फ एक आदमी (किसी भी जाति का) यदि वो ख़रीदे माल (हेलीकाप्टर) का करीबन 20,000 करोड़ रुपये देने जायेगा तो सामने वाला लाल कारपेट बिछा मुह-दिल-दिमाग खोल स्वागत ही तो करेगा | इसके लिए अखबारों के पन्ने रंगवाना, टी. वी. के डब्बे खोल देना तो 21 वी सदी क्या 20 वी सदी में भी बाजारवाद की चाले थी जो चलता - फिरता कोई भी अर्थशास्त्री तो क्या आम बच्चा भी बता देता है | 

दुनिया की सबसे तेज बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था और सबसे बड़े लोकतंत्र का प्रधानमंत्री पूंजीवादी अर्थव्यवस्था वाले सबसे ताकतवर लोकतंत्र की आर्थिक रूप से विशालकाय वाली कम्पनियो को जाकर कहे मै आपको बड़ा बाजार देने आया हुँ और आपका बना माल या उत्पाद बिकवाने आया हुँ तो मंदी के दौर मै कोनसी कंपनी का मालिक मंद बुद्धि का होगा जो आपका स्वागत नहीं करेगा | आप संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद मे स्थाई सीट के लिए अनुमति चाहते है जबकि इसके विपरीत बिना किसी देश की रजामंदी के एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था पहली बार अमेरिका व जिनेवा से बाहर भारत मे खोलने का प्रस्ताव आपके पास रखा है | इस प्रस्ताव के जुड़े मामले के लिए सयुक्त राष्ट्र खुद अपनी योजनाओ के माध्यम से मदद करने को तैयार है (ई-मेल के माध्यम से मिला प्रतिकिर्या जवाब दिनाँक 26 जुलाई, 2008) | 

स्थाई सीट का अनुरोध तो प्रत्येक वर्ष करते है एक बार ताकत व क्षमता दिखाओ (125 करोड़ लोगो के संगठन की) फिर देखो ............ परिणाम ............... कैसे व कितने रूप मे निकलता है | आप दुनिया की कम्पनियो के आव-भगत मे लगे है ताकि वो देश मे अरबो रुपये लाये, अपना माल या उत्पाद बेचे, और कमाके जाये व भी अपनी शर्तो व ना नुकुर के साथ | इसके विपरीत आपके पास ऐसा प्रस्ताव है जिसमे पूरी दुनिया माल या उत्पाद नहीं बनने से पहले खरीद ने को पलकें बिछाये तैयार बैठी है | उसे सिर्फ अपने ही देश, अपनी ही तकनीक, अपने ही कानून, सविधान के तहत, अपने ही लोगो को लाखो की संख्या मे नौकरियां देकर सिर्फ माल बनाकर देना है वो भी प्रतिदिन 25 फीसदी की वृद्धि दर से | दुनिया की कम्पनियो के पास जाने की जरुरत ही नहीं पड़ेगी आखिकार मुनाफा वह भी शर्तिया किस कंपनी व व्यापार का मूल मंत्र नहीं है | आप देश मे नई कंपनिया खोलने के लिए आयोजन पर आयोजन कर रहे है पर 5000 नई कंपनिया खुलने का द्वार नहीं खोल रहे है | प्रधानमंत्री विज्ञान व तकनीक की बाते कर रहे है पर उधार व किराये की टेक्नोलॉजी से "मेड इन इंडिया" का डिजिटल प्रचार कर भारत माता के सपूत होने का गर्व 57 इंच की छाती फुलाकर बताना चाहते है जिसे कोई भी विदेशी कंपनी या देश अपनी तकनीक पर पाबंधी लगा कभी भी हवा निकाल कर गुबारे की भांति फुस कर दे | 

आप दुनिया के लोगो को शुभकामनाये दे रहे है परन्तु अपने पास नये नये वायरसों के उद्भव को रोकने व प्रति मिनट हो रही एक निर्दोष इन्शान की मौत को रोकने का उपाय अपने पास रखा है उसे स्वार्थी कामनाओ का शिकार बना क्या "शुभ" करना चाहते है | प्रधानमंत्री डिजिटल हो गये, उनकी टीम डिजिटल हो गई व "डिजिटल इंडिया" भी कर्मचारियों से दौड़ाने लग गये व विदेशी उपकरणों से डिजिटल लाइट डालकर भारतीय जनता को अच्छे दिन आने को गुडफील करने को आतुर है परन्तु इस डिजिटल का फ्यूज तो पहले ही आपके दफ्तर "पीएमओ" में उड़ गया है | आपके बनाये हाई स्पीड इंटरनेट व पेपर लेस व्यवस्था मे प्रस्ताव आधिकारिक रूप से रजिस्टर्ड (PMOPG/E / 2015 / 0021765 Dated : 03 जुलाई 2015 ) है पर उसका कुछ होता नहीं है | 

आप नई विकसित व्यवस्था व विकास की परिगाथा लोगो को दिन मे सपने के रूप मे परोस रहे पर आपके बनाये ऑनलाइन सिस्टम मे फाइल /अनुरोध का स्टेटस जानने का ऑप्शन ही गायब कर रखा है | सयुक्त राष्ट्र के माध्यम से दुनिया की प्रगति विकास का सपना हैं परन्तु दुनिया के सारे अस्पतालों को 21 वी सदी के अनुकूल संक्रमण से दूर रखना व उन्हें आधुनिक बनाना जनता को बीमारियो से बचाना जिसमे सिर्फ भारत के अंदर 33 फीसदी मरीज सालाना कम हो जाये व आपके प्रगति और विकास की डिक्शनरी मे नहीं आता है |  नोट:- हम बात कर रहे है भारत के प्रधानमंत्री की जिस पद पर वर्तमान मे श्री नरेंद्र मोदी जी नमक व्यक्ति कार्य कर रहे है न कि एक व्यक्ति जिसका नाम श्री नरेंद्र मोदी है जो भारत के प्रधानमंत्री के रूप मे कार्य कर रहा है.

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