पाकिस्तान प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो को इस कारण रातों रात दी गई थी फांसी
पाकिस्तान प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो को इस कारण रातों रात दी गई थी फांसी
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किसी भी देश में प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति का ओहदा बाकी सभी ओहदों से काफी बड़ा होता है. फांसी तो दूर उनपर कोई भी इल्जाम लगाने से पहले आदमी 100 बार से ज्यादा सोचता है. लेकिन पाकिस्तान में एक ऐसा प्रधानमंत्री है, जिसे फांसी के फन्दे पर लटका दिया गया था. आपको जानकर हैरानी होगी कि यह शख्स पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बनने से पहले वहां का राष्ट्रपति भी रह चुका था. पाकिस्तान के इस पूर्व राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री का नाम है जुल्फिकार अली भुट्टो. वह 20 दिसंबर 1971 से 13 अगस्त 1973 तक पाकिस्तान के राष्ट्रपति रहे थे. इसके बाद 14 अगस्त 1973 से पांच जुलाई 1977 तक उन्होंने देश के प्रधानमंत्री का पद संभाला था.

जुल्फिकार अली भुट्टो को पाकिस्तान के सबसे ताकतवर नेताओं में से एक माना जाता था, लेकिन साल 1977 में पाकिस्तान के तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल मोहम्मद जिया-उल-हक के नेतृत्व में सेना ने तख्तापलट कर दिया था. इसके बाद तीन सितंबर 1977 को उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. उनपर विपक्षी नेता की हत्या का आरोप लगा था. हालांकि वो खुद हत्या में शामिल होने की बात से हमेशा इनकार करते रहे.

18 मार्च 1978 को जुल्फिकार अली भुट्टो की जिंदगी का सबसे बड़ा निर्णय आया और लाहौर हाईकोर्ट ने उन्हें फांसी की सजा सुनाई. जुल्फिकार अली भुट्टो ने अपनी जिंदगी के आखिरी वक्त रावलपिंडी जेल में गुजारे थे. यही से उन्होंने फैसले के खिलाफ पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट में अपील भी की, लेकिन अदालत ने उनकी अपील ठुकरा दी. तीन अप्रैल 1979 की रात दो बजकर चार मिनट पर जुल्फिकार अली भुट्टो को रावलपिंडी जेल में ही फांसी पर लटका दिया गया. वैसे आमतौर पर फांसी की सजा सुबह के समय दी जाती है, लेकिन यह फांसी रात में ही दे दी गई थी. वह करीब आधे घंटे तक फांसी के फंदे पर लटके रहे. इसके बाद डॉक्टर ने भुट्टो की जांच की और उन्हें मृत घोषित कर दिया. फिर उनके शव को नीचे उतारा गया और फिर उन्हें दफनाने की तैयारी शुरू की गई. जुल्फिकार अली भुट्टो जब जेल में बंद हुए थे, उस समय रावलपिंडी जेल में खुफिया अधिकारी रहे कर्नल रफीउद्दीन ने एक किताब लिखी है, जिसका नाम है 'भुट्टो के आखिरी 323 दिन'. इस किताब में उन्होंने लिखा है कि फांसी पर लटकाए जाने के कुछ देर बाद पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी के एक फोटोग्राफर ने उनके गुप्तांगों की फोटो खींची थी. दरअसल, यह फोटो इसलिए खींची गई थी, ताकि इस बात की पुष्टि हो सके कि भुट्टो का इस्लामी रीति-रिवाज से खतना हुआ था नहीं. हालांकि बाद में पाकिस्तानी प्रशासन का यह संदेह दूर हो गया.

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