नई दिल्ली: राज्यसभा में बुधवार को सुरक्षाकर्मियों के साथ हाथापाई को लेकर केंद्र सरकार और विपक्ष में तलवारें खिंच गई हैं. कांग्रेस के आरोपों के बाद अब केंद्र के आठ मंत्रियों ने प्रेस वार्ता कर विपक्ष की हकीकत देश के सामने रखी है. केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि, देश की जनता प्रतीक्षा करती है कि उनसे संबंधित विषयों को सदन में उठाया जाए, वहीं विपक्ष का सड़क से संसद तक एकमात्र एजेंडा केवल अराजकता का रहा. घड़ियाली आंसू बहाने की जगह विपक्ष को देश से माफी मांगनी चाहिए.
वहीं संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने प्रेस वार्ता में कहा कि, 'कांग्रेस और उसके सहयोगी मित्रों ने पहले ही संसद को नहीं चलने देने का फैसला कर लिया था. उन्होंने नए मंत्रियों का परिचय नहीं होने दिया, विपक्ष ने कई महत्वपूर्ण बिलों पर भी चर्चा नहीं होने दी. हम मांग करते हैं कि राज्यसभा के स्पीकर को नियम तोड़ने वाले विपक्षी सांसदों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए.' बता दें कि उच्च सदन में बुधवार को सुरक्षाकर्मियों की अभूतपूर्व तैनाती देखने को मिली, ताकि विपक्षी सदस्यों के मेज पर चढ़ने जैसी भद्दी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सके. लेकिन इसके बाद भी सदन में विपक्षी सदस्यों ने आसन के सामने आकर नारेबाजी की और दस्तावेज़ फाड़कर उछाले तथा कुछ सदस्य आसन की तरफ बढ़ने की कोशिश करते हुए सुरक्षाकर्मियों से उलझ गए.
विपक्षी सदस्य आसन के सामने आकर सरकार विरोधी नारे लगाने लगे. बहरहाल, इन सदस्यों को लगभग 50 सुरक्षाकर्मियों द्वारा बनाये गए घेरे ने अधिकारियों की मेज और आसन तक जाने से रोक दिया. इन सुरक्षाकर्मियों की तैनाती इस प्रकार से की गयी थी जिसमें विरोध कर रही महिला सांसदों के सामने पुरूष सुरक्षाकर्मी और पुरूष सांसदों के समक्ष महिला सुरक्षाकर्मी खड़े थे.
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