मुंबई: महाराष्ट्र में मंगलवार को राष्ट्रपति शासन लागू किया जाना राज्य के 59 साल के इतिहास में पहली ऐसी घटना है, जब विधानसभा चुनाव के बाद सियासी दलों के सरकार नहीं बना पाने के चलते अनुच्छेद 356 का प्रयोग किया गया। कुल मिलाकर यह तीसरी बार है जब महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू किया गया है। वर्तमान का महाराष्ट्र एक मई 1960 को अस्तित्व में आया था।
महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव 21 अक्टूबर को हुआ था और इसके नतीजे 24 अक्टूबर को आए थे। भाजपा 105 सीटों के साथ अकेली सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर सामने आई थी, वहीं शिवसेना को 56 सीटें, NCP को 54 और कांग्रेस को 44 सीटें मिली थीं। चुनाव पूर्व गठबंधन सहयोगी दलों भाजपा और शिवसेना ने कुल मिलाकर 161 सीटें जीती थीं। यह 288 सदस्यीय सदन में बहुमत के 145 के आंकड़े से काफी ज्यादा था। यद्यपि CM पद को लेकर दोनों के बीच खींचतान से दोनों में खटास आ गई और इससे सरकार गठन विलंबित हुआ।
पिछले हफ्ते भाजपा ने गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी को सूचित कर दिया कि वह सरकार नहीं बना पाएगी, क्योंकि उसके पास आवश्यक संख्याबल नहीं है। इसके बाद गवर्नर ने दूसरी सबसे बड़ी पार्टी शिवसेना को सरकार बनाने के लिए ''इच्छा और क्षमता" साबित करने के लिए कहा। सोमवार (11 नवंबर) को उद्धव ठाकरे नीत पार्टी ने राज्यपाल से मुलाकात की और सरकार बनाने की इच्छा जाहिर की, किन्तु वह अपनी जरूरी संख्या बल दिखाने के लिए अन्य पार्टियों से समर्थन का पत्र पेश करने में नाकाम रही।
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