गलवान हिंसा: ऊंचाई से पथराव, धारदार हथियारों से हमला..., सबकुछ झेला लेकिन चीन को आगे नहीं बढ़ने दिया
गलवान हिंसा: ऊंचाई से पथराव, धारदार हथियारों से हमला..., सबकुछ झेला लेकिन चीन को आगे नहीं बढ़ने दिया
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नई दिल्ली: लद्दाख की गलवान घाटी में गत वर्ष चीनी सैनिकों से बहादुरी से लड़ते हुए शहीद कर्नल संतोष बाबू को महावीर चक्र से सम्मानित किया गया है. उनके साथ ही गलवान में चीनी सैनिकों को मुंहतोड़ जवाब देने वाले 20 अन्य भारतीय वीरों को भी नवाज़ा गया. संतोष बाबू के साथ पांच अन्य सैनिकों को भी मरणोपरान्त वीर चक्र प्रदान किया गया, जिसमें नायब सूबेदार नूडूराम सोरेन, हवलदार के पिलानी, हवलदार तेजेंद्र सिंह, नायक दीपक सिंह और सिपाही गुरतेज सिंह को गलवान संघर्ष में दुश्मनों को खदेड़ने के लिए वीरता मेडल दिया गया है.

वहीं 14 अन्य सैनिकों को सेना मेडल दिया गया है. वर्ष 1999 में कारगिल यद्ध के बाद से पहली बार गलवान घाटी में हुई इस झड़प में शहीद हुए जवानों को वीरता पुरस्कार प्रदान किए गए हैं. 1999 के कारगिल संघर्ष में दिखाए गए शौर्य के लिए चार परम वीर चक्र पदक और 11 महावीर चक्र दिये गये थे. ऑपरेशन SNOW LEOPARD के दौरान गलवान घाटी (पूर्वी लद्दाख) में तैनात कमांडिंग ऑफिसर 16 BIHAR रेजिमेंट के कमांडर कर्नल संतोष बाबू को दुश्मन के सामने एक ऑब्जर्वेशन पोस्ट स्थापित करने का जिम्मा सौंपा गया था. कर्नल संतोष बाबू ने बड़ी ही वीरता के साथ अपनी बटालियन की अगुवाई करते हुए दुश्मनों से लोहा लिया. दुश्मनों की तादाद अधिक थी. दुश्मन सैनिकों ने ऊंचाई से पत्थर बरसाने के साथ धारदार हथियारों का इस्तेमाल कर हमला किया था. गंभीर रूप से जख्मी होने के बाद भी शातिर दुश्मन के हमले को रोकने के लिए कर्नल संतोष बाबू अंतिम सांस तक लड़ते रहे और दुश्मनों को आगे नहीं बढ़ने दिया. इस सर्वोच्च बलिदान के लिए कर्नल संतोष बाबू को महावीर चक्र से सम्मानित किया गया है. 

गलवान घाटी (पूर्वी लद्दाख) में जारी ऑपरेशन SNOW LEOPARD के दौरान नायब सूबेदार नूडूराम सोरेन ने अपनी पोस्ट का नेतृत्व किया था. झड़प के दौरान बुरी तरह जख्मी होने के बाद भी वे चीनी सैनिकों को खदेड़ते रहे. उनकी वीरता के आगे शत्रु के हौसले भी पस्त हो गये. इस शौर्य से लड़ने, अद्भुत साहस दिखाने और सर्वोच्च बलिदान के लिये उन्हें वीर चक्र से सम्मानित किया गया है. इनके साथ ही हवलदार के पलानी को गलवान घाटी में तैनात किया गया था. 15 जून 2020 की रात को पेट्रोलिंग के दौरान दुश्मन से लड़ते हुए वे वीरगति को प्राप्त हो गये. साहस और सर्वोच्च बलिदान के लिए उन्हें भी वीर च​क्र से नवाज़ा गया. नायक दीपक सिंह बटालियन नर्सिंग असिस्टेंट की ड्यूटी पर तैनात थे. ऑपरेशन SNOW LEOPARD के दौरान उन्होंने गलवान घाटी में झड़प में जख्मी जवानों का उपचार किया. युद्ध की स्थिति का आकलन करने के बाद, वह फ़ौरन चिकित्सा मदद के लिए आगे बढ़ गए. जैसे ही झड़प हुई और हताहतों की तादाद बढ़ गई, वह जख्मी जवानों को प्राथमिक उपचार देने के लिए अग्रिम पंक्ति में चले गए. भारी पथराव के साथ झड़प में उन्हें गंभीर चोटें आईं, किन्तु वे चिकित्सा सहायता प्रदान करते रहे.

कई लोगों की जान बचाने के दौरान अंत में वे भी वीरगति को प्राप्त हो गए. इस अभूतपूर्व कार्य के लिये नायक दीपक सिंह को "वीर चक्र” से नवाज़ा गया है. वहीं 15 जून 2020 को, 3 मीडियम रेजिमेंट के हवलदार तेजिंदर सिंह गलवान घाटी (पूर्वी लद्दाख) में तैनात रेजिमेंटल कॉलम में शामिल थे. वह अपनी पोस्ट का नेतृत्व कर रहे थे. सिपाही गुरतेज सिंह दुश्मन से लोहा लेते हुए खुद गंभीर रूप से जख्मी हो गए. अद्भुत वीरता प्रदर्शन करने के लिए सिपाही गुरतेज सिंह को भी वीर चक्र से नवाज़ा गया है.

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