शक्ति के जागरण का पर्व है नवरात्रि
शक्ति के जागरण का पर्व है नवरात्रि
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अश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से हर कहीं शक्ति का जागरण होगा। दरअसल आश्विन नवरात्रि जिसे शारदीय नवरात्रि भी कहा जाता है इसका शुभारंभ होगा। शारदीय नवरात्रि के प्रारंभ के ही साथ मंदिरों मे ंदेवी पूजन और घरों में देवी आराधना का मंगल आयोजन होगा। बाजारों में नवरात्रि की चहल - पहल प्रारंभ हो गई है। कई मूर्तिकार देवी मां की मूर्तियों को अंतिम स्वरूप देने में जुट गए हैं। इस बीच घरों में रंग रोगन और साफ - सफाई का दौर है। इतना ही नहीं देवी मंदिरों में भी देवी आराधना पर्व की तैयारियां चल रही हैं।

कई स्थानों पर जवारों को बोने की तैयारी की जा रही है। अब से करीब 4 दिनों के अंतर पर अश्विन नवरात्रि का प्रारंभ हो जाएगा। इस नवरात्रि में नौ दिनों तक देवी के नौ स्वरूपों की आराधना की जाती है। जिसमें प्रथम स्वरूप शैलपुत्री का है। दरअसल ये देवी मां पर्वत राज हिमालय की पुत्री थीं। शैल राज होने के कारण इन्हें शैलपुत्री कहा गया। माता अखंड सौभाग्य का प्रतीक मानी गई हैं।

योगी मूलाधार में अपने ध्यान को लगाकर योग साधना करते हैं और मां की आराधना करते हैं। माता की कृपा से दृढ़ता, स्थिरता और समस्त सुखों की प्राप्ति होती है। इनकी कृपा से हिमालय की तरह शक्ति, दृढ़ता व आधार के ही साथ स्थिरता मिलती है। माता जी के एक हाथ में कमल पुष्प है तो दूसरे हाथ में शिव जी का त्रिशूल धारण किया हुआ है। माता बैल अर्थात् वृषभ पर विराजमान हैं। माता का यह स्वरूप बेहद ही मनोरम है।

इस बार दस दिनों की होगी नवरात्रि

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