नई दिल्ली - प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के मामले में कोटा के कोचिंग संस्थान किसी परिचय के मोहताज नहीं है.यहां की नामचीन संस्थानों के अलावा कुछ अर्से से सुपर-30 ने भी इंजीनियरिंग की तैयारी में खासा नाम कमाया है. लेकिन यहां एक बात सामने आई है कि प्रवेश की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों पर कामयाबी का दबाव रहता है. इसमें असफल होने पर ख़ुदकुशी की घटनाएं बढ़ने लगी है. इसका खुलासा दिल्ली विश्वविद्यालय के एक प्रोजेक्ट में हुआ है.
बता दें कि दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के अधीन रामानुजन कॉलेज के छात्र-शिक्षकों के इस प्रयास में सामने आया है कि कोटा के कोचिंग संस्थानों में अध्ययनरत विद्यार्थियों पर सुपर-30 के विद्यार्थियों की अपेक्षा सफलता का दबाव अधिक रहता है. इस इनोवेशन प्रोजेक्ट के मुख्य शिक्षक डॉ. अनुपम कुमार ने बताया कि कोटा के नामचीन कोचिंग इंस्टीट्यूट के बच्चों और सुपर-30 के अन्तर्गत अध्ययनरत विद्यार्थियों से उनके मन पर सफलता को लेकर रहने वाले दबाव पर चर्चा कर तुलनात्मक अध्ययन किया तो सर्वे में पाया कि छात्रों पर घर से दूर रहने का प्रभाव भी पड़ता है. प्रोजेक्ट से जुड़ी छात्रा श्रेया सिन्हा ने बताया कि लाखों खर्च करने और मेहनत करने के बाद भी काफी छात्र परीक्षा में कामयाब नहीं हो पाते हैं.
डॉ. अनुपम के अनुसार अध्ययन में सामने आया कि असफलता बर्दाश्त करने की क्षमता युवाओं में धीरे-धीरे कम होती जा रही है.युवाओं को यह भय रहता है कि असफल होने पर दोस्त, परिवार और समाज उन्हें स्वीकार नहीं करेगा. ऐसे में वह खुदकुशी करने की राह चुन रहे हैं.कोटा कोचिंग संस्थान के छात्रों में हाल के वर्षों में आत्महत्या करने की घटनाएं बढ़ी हैं. बता दें कि बीते एक साल में ही लगभग डेढ़ दर्जन छात्र खुदकुशी कर चुके हैं.इनकी असफलता की जिम्मेदारी संसथान नहीं लेते जबकि सुपर-30 संस्थान में असफल छात्र की जिम्मेदारी संस्थान के साथ-साथ शिक्षक भी लेते हैं.