जम्मू: देश के कई क्षेत्रो में कोरोना के कारण अत्यधिक प्रभाव पड़ा है. वही इस दौरान श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के पुनर्गठन की तैयारी चल रही है. भारत के अन्य दूसरे श्राइन बोर्ड की तर्ज पर इसका नए सिरे से गठन किया जाएगा. इसमें स्थानीय जनप्रतिनिधियों तथा बारीदारों को भी प्रतिनिधित्व मिलेगा. सेंट्रल मिनिस्टर डॉ. जितेंद्र सिंह ने इसके लिए पहल आरम्भ कर दी है. बोर्ड सदस्यों का कार्यकाल तीन वर्ष का होता है, जो समाप्त होने वाला है. जम्मू-कश्मीर में माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड को छोड़कर अन्य श्राइन बोर्ड में स्थानीय नुमाइंदों को सम्मिलित किया गया है.
आपको बता दे कि माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड में सम्मिलित सभी सदस्य जम्मू-कश्मीर से बाहर के हैं. श्राइन बोर्ड में स्थानीय लोगों को अवसर देने की वकालत करने वालों का यह मानना है, कि बाहरी होने के कारण श्राइन बोर्ड के सदस्य स्थानीय मुद्दों तथा परेशानियों के बारे में विचार-विमर्श नहीं कर पाते हैं. यह भी बताते हैं कि बारीदारों की मांग 30 वर्ष से ज्यादा वक़्त से चल रही है. बीती माहो में राजभवन में आईएएस उमंग नरुला के साथ बारीदारों की बैठक कराई गई थी, जिससे बारीदारों की समस्या का निवारण हो सके. परन्तु, उनके लद्दाख चले जाने से यह मांग परवान नहीं चढ़ सकी.
वही अब फिर से कोशिश प्रारम्भ की गई हैं. गौरतलब है कि 1986 से पूर्व बारीदार ही माता वैष्णो देवी की देखरेख करते थे. तत्पश्चात, श्राइन बोर्ड अस्तित्व में आ गया था. राज्य में अमरनाथ यात्रा की तैयारियां जोर-शोर से की जा रही हैं. जम्मू से लेकर पवित्र गुफा तक श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा के सभी अरेंजमेंट को आखिरी रूप दिया जा रहा है. हालांकि, सरकार ने अभी तक यात्रा दिनांक को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं की है. इसी वजह से रेलवे ने भी अब तक नई ट्रेनों के परिचालन को लेकर कोई लिस्ट जारी नहीं की है. वही अभी इसको लेकर पूर्ण निश्चितता नहीं हुई है.
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