बॉलीवुड की डिंपल क्वीन प्रीति जिंटा ने अपने एक इंटरव्यू में बताया कि उन्हें गंदे बाथरूम से अजीब बेचैनी महसूस होती है। यही वजह है कि जब भी वह कहीं जाती हैं, सबसे पहले बाथरूम की सफाई चेक करती हैं। उन्हें साफ-सुथरे बाथरूम की इतनी आदत हो गई है कि चाहे होटल का कमरा हो या उनकी वैनिटी वैन, वह हर जगह यह पक्का करती हैं कि बाथरूम साफ हो। साथ ही, प्रीति का मानना है कि बाथरूम को इस्तेमाल से पहले और बाद में दोनों बार साफ रखना चाहिए। जब इस समस्या पर और जानकारी मिली, तो पता चला कि प्रीति जिंटा OCD से पीड़ित हैं। OCD के मरीजों में साफ-सफाई को लेकर खास चिंता होती है, जिससे वे बार-बार चीजों को साफ करने की कोशिश करते हैं।
क्या है OCD और इसके लक्षण?
OCD (ऑब्सेसिव-कंपल्सिव डिसऑर्डर):
ऑब्सेसिव-कंपल्सिव डिसऑर्डर (OCD) एक मानसिक स्थिति है जिसमें व्यक्ति को किसी चीज को लेकर बार-बार विचार या डर आते हैं और वे अपने इन्हीं विचारों के कारण अजीबोगरीब तरीके से व्यवहार करते हैं। उदाहरण के लिए, किसी को हाथ धोने की इतनी आदत लग सकती है कि वे सैनिटाइज़र हमेशा अपने पास रखते हैं। OCD के लक्षणों को लेकर कई गलतफहमियां भी हैं, और यह स्थिति प्रभावित लोगों के लिए काफी परेशानी का कारण बन सकती है।
कितने लोग होते हैं OCD से पीड़ित?
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ (NIMH) के अनुसार, अमेरिका में 1.2% वयस्क OCD से प्रभावित हैं। किसी भी उम्र के व्यक्ति को OCD हो सकता है, लेकिन कुछ लोग इसके प्रति ज्यादा संवेदनशील होते हैं।
OCD के मुख्य कारण
OCD के कारणों को पूरी तरह से समझा नहीं गया है, लेकिन कुछ संभावित कारणों में शामिल हैं:
बचपन का कोई आघात: बचपन में किसी घटना का बुरा असर मस्तिष्क पर हो सकता है।
मस्तिष्क संरचना में असामान्यता: मस्तिष्क के कुछ हिस्सों में असामान्यता भी इसका कारण हो सकती है।
जेनेटिक कारण: यदि परिवार में किसी को OCD है, तो उसके होने की संभावना बढ़ जाती है।
स्ट्रेप्टोकोकल संक्रमण: कुछ संक्रमण भी मस्तिष्क में असामान्यता पैदा कर सकते हैं।
OCD से पीड़ित लोग कैसे होते हैं?
OCD से जूझने वाले लोग अक्सर अपनी स्थिति को लेकर शर्म महसूस करते हैं और अपने व्यवहार को छुपाने की कोशिश करते हैं। उन्हें लगता है कि उनका यह व्यवहार उन्हें दूसरों से अलग करता है, जिससे वे मानसिक रूप से और ज्यादा परेशान होते हैं।
कैसे करें OCD से पीड़ित लोगों की मदद?
OCD से ग्रस्त किसी व्यक्ति को यह बताना कि उनके डर सच नहीं हैं, वास्तव में उल्टा असर कर सकता है। रिसर्च बताती है कि ऐसे लोगों को आश्वासन देने से उनकी स्थिति में सुधार नहीं होता, बल्कि उनके जुनूनी विचार और बढ़ सकते हैं। इसके बजाय, उन्हें व्यस्त रखने के लिए टहलने या फिल्म देखने जैसी गतिविधियों में शामिल करना, या उन्हें रिलैक्सेशन तकनीकों की याद दिलाना ज्यादा मददगार हो सकता है।
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