हनुमानजी को अर्पित करे चमेली का तेल
हनुमानजी को अर्पित करे चमेली का तेल
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हनुमानजी जो कि वानर थे, वे समुद्र को लांघ कर लंका पहुंच गए और वहां सीता की खोज की. लंका को जलाया और सीता का संदेश लेकर श्रीराम के पास लौट आए. यह एक भक्त की जीत का कांड है जो अपनी इच्छाशक्ति के बल पर इतना बड़ा चमत्कार कर सकता है. सुन्दरकाण्ड में जीवन की सफलता के महत्वपूर्ण सूत्र भी दिए गए हैं. इसलिए पूरी रामायण में सुंदरकांड को सबसे श्रेष्ठ माना जाता है क्योंकि यह व्यक्ति में आत्मविश्वास बढ़ाता है. इसी वजह से सुंदरकांड का पाठ विशेष रूप से किया जाता है.

सुंदरकांड करने के है मनोवैज्ञानिक लाभ

श्रीरामचरितमानस के सुंदरकांड की कथा सबसे अलग है. संपूर्ण श्री रामचरितमानस में भगवान श्रीराम के गुणों और महानता को दर्शाती है. सुंदरकांड एकमात्र ऐसा अध्याय है जो श्रीराम के भक्त हनुमान की विजय का कांड है. मनोवैज्ञानिक नजरिए से देखा जाए तो यह आत्मविश्वास और इच्छाशक्ति बढ़ाने वाला कांड है. सुंदरकांड के पाठ से व्यक्ति को मानसिक शक्ति प्राप्त होती है. किसी भी कार्य को पूर्ण करने के लिए आत्मविश्वास मिलता है.

हनुमानजी के पूजन में इन बातों का ध्यान रखें 

हनुमानजी के पूजन और दर्शन के लिए शास्त्रों के अनुसार कुछ नियम बताए गए हैं, पूजन और दर्शन करते समय इन नियमों का पालन चाहिए....

1- हनुमानजी की तीन परिक्रमा करने का विधान है. भक्तों को इनकी तीन परिक्रमा ही करनी चाहिए.

2- दोपहर के समय बजरंग बली को गुड़, घी, गेहूं के आटे से बनी रोटी का चूरमा अर्पित किया जा सकता है.

3- हनुमानजी को शाम के समय फल जैसे आम, केले, अमरूद, सेवफल आदि का भोग लगाना चाहिए.

4- सुंदरकांड का पाठ करते समय हनुमानजी को सिंदूर, चमेली का तेल और अन्य पूजन सामग्री भी अर्पित करना चाहिए.

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