योग दिवस: योग का चौथा अंग प्राणायाम
योग दिवस: योग का चौथा अंग प्राणायाम
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योग न सिर्फ हमारे शारीरिक उन्नति के लिए, बल्कि मानसिक और आत्मिक उन्नति के लिए भी बहुत मददगार है. इसमें ऐसे कई आसान और विधियां हैं जिनका निरंतर पालन करने से हम अपने शारीरिक विकारों से तो छुटकारा पा ही सकते हैं, साथ ही मन में आने वाले बुरे विचारों को भी शुद्धता प्रदान कर सकते हैं. योग का अर्थ ही होता है जोड़ना ये शरीर और मन को जोड़ने का काम करता है. इसी का एक हिस्सा है प्राणायाम, जिसमे श्वसन के व्यायाम करके हम कई लाभ उठा सकते हैं. 

योग के आठ अंगों में से चौथा अंग है प्राणायाम,  प्राणायाम शब्द प्राण एवं आयाम दो शब्दों से मिलकर बना है. प्राण का अर्थ श्वास ,जीवन ,चैतन्य ,ऊर्जा एवं जीवनीशक्ति होता है. इस प्रकार प्राणायाम को श्वास का विज्ञान भी  कहा जा सकता है.  सामान्यतः प्राणायाम को सांसों के नियन्त्रण करने की क्रिया के रूप में जाना जाता है. इस प्रकार प्राणायाम श्वास लेने की  सर्वोत्कृष्ट क्रिया है जिसके माध्यम से वायु हमारे फेफड़ों में प्रविष्ट होकर अतिरिक्त ऊर्जा का संचार करती है.

दूसरे शब्दों में प्राणायाम, प्राण अथवा जीवन ऊर्जा के विस्तार एवं नियन्त्रण की एक क्रिया के रूप में जानी जाती है , व्यक्ति जब जन्म लेता है तो गहरी श्वास लेता है और जब मरता है तो पूर्णत: श्वास छोड़ देता है, जिससे ये सिद्ध होता है कि वायु ही प्राण है, आयाम के दो अर्थ है- प्रथम नियंत्रण या रोकना, द्वितीय विस्तार. हम जब साँस लेते हैं तो भीतर जा रही हवा या वायु पाँच भागों में विभक्त हो जाती है या कहें कि वह शरीर के भीतर पाँच जगह स्थिर हो जाता हैं, ये पांच वायु हैं - (1)व्यान, (2)समान, (3)अपान, (4)उदान और (5)प्राण.

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