बॉलीवुड की दुनिया में अगर खलनायकों को याद किया जाए, तो प्राण का नाम जरूर याद आता है। अपनी दमदार अदाकारी और डॉयलॉग बोलने की कला के कारण प्राण आज भी लोगों की यादों में जिंदा हैं। आज प्राण की पुण्यतिथि है। भले ही प्राण अब हमारे बीच नहीं है, लेकिन चार दशकों तक इस कलाकार ने बॉलीवुड पर राज किया और आज भी हमारे दिलों में वह उसी अंदाज में जिंदा हैं।
प्राण का जन्म 12 फरवरी 1920 को दिल्ली में हुआ था। उनकी शिक्षा भी वहीं पर हुई। एक दिन प्राण की मुलाकात लाहौर के एक स्क्रिप्ट राइटर वली मोहम्मद से हुई। प्राण को देखकर मोहम्मद ने उन्हें फिल्मों में काम करने को कहा, लेकिन प्राण ने मना कर दिया। मोहम्मद के बहुत आग्रह करने पर वह फिल्में करने को तैयार हो गए और 'यमला जट' से अपने कॅरियर की शुरुआत की। बंटवारे के वक्त प्राण लाहौर छोड़कर मुंबई आ गए। बॉलीवुड में उन्होंने एक के बाद एक हिट फिल्में दीं। उनका सिगार को मुंह में दबाकर एक तरफ से होठों को चबाते हुए डॉयलॉग बोलने का अलग ही अंदाज था। आज भी लोग उस अंदाज के दीवाने हैं। बॉलीवुड का यह चमकता खलनायक 12 जुलाई 2013 को इस दुनिया से रुख्सत हो गया। आज उनकी पुण्यतिथि पर हम आपको उनके कुछ मशहूर डॉयलॉग बता रहे हैं—
फिल्म शहंशाह— जख्म देने वाले भी वही हैं, भरने वाले भी वही हैं, इंसान तो सिर्फ मरहम लगा सकता है।
फिल्म जंजीर— इलाके में नए हो बर्खुरदार वरना यहां शेर खान को कौन नहीं जानता।
सनम बेवफा— आवाज तो तेरी एक दिन मैं नीची करुंगा, शेर की तरह गरजने वाला बिल्ली की जबान बोलेगा।
फिल्म कालिया— हमारी जेल से संगीन से संगीन कैदी जो बाहर गया है उसने तुम्हारे उस दरबार में दुआ मांगी है तो यही दुआ मांगी है कि अगर दोबारा जेल जाए तो रघुबीर सिंह की जेल में ना जाए।
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