16 अगस्त को है प्रदोष व्रत, जानिए इस व्रत की कथा
16 अगस्त को है प्रदोष व्रत, जानिए इस व्रत की कथा
Share:

भादो महीना चल रहा है. इस महीने में प्रदोष व्रत रखा जाता है जो आने वाले 16 अगस्त के दिन यानी रविवार को है. ऐसे में कहा जाता है प्रदोष व्रत शनिदेव की पूजा के लिए विशेष दिन होता है और इस दिन भक्त भगवान शिव की आराधना भी करें तो बड़े लाभ मिलते हैं. वैसे आज हम आपको बताने जा रहे हैं प्रदोष व्रत की कथा.

प्रदोष व्रत की कथा - प्राचीनकाल में एक गरीब पुजारी हुआ करता था. उस पुजारी की मृत्यु के बाद उसकी विधवा पत्नी अपने भरण-पोषण के लिए पुत्र को साथ लेकर भीख मांगती हुई शाम तक घर वापस आती थी. एक दिन उसकी मुलाकात विदर्भ देश के राजकुमार से हुई, जो कि अपने पिता की मृत्यु के बाद दर-दर भटकने लगा था. उसकी यह हालत पुजारी की पत्नी से देखी नहीं गई, वह उस राजकुमार को अपने साथ अपने घर ले आई और पुत्र जैसा रखने लगी. एक दिन पुजारी की पत्नी अपने साथ दोनों पुत्रों को शांडिल्य ऋषि के आश्रम ले गई. वहां उसने ऋषि से शिवजी के प्रदोष व्रत की कथा एवं विधि सुनी तथा घर जाकर अब वह भी प्रदोष व्रत करने लगी. एक बार दोनों बालक वन में घूम रहे थे. उनमें से पुजारी का बेटा तो घर लौट गया, परंतु राजकुमार वन में ही रह गया.

उस राजकुमार ने गंधर्व कन्याओं को क्रीड़ा करते हुए देखा तो उनसे बात करने लगा. उस कन्या का नाम अंशुमती था. उस दिन वह राजकुमार घर देरी से लौटा. राजकुमार दूसरे दिन फिर से उसी जगह पहुंचा, जहां अंशुमती अपने माता-पिता से बात कर रही थी. तभी अंशुमती के माता-पिता ने उस राजकुमार को पहचान लिया तथा उससे कहा कि आप तो विदर्भ नगर के राजकुमार हो ना, आपका नाम धर्मगुप्त है. अंशुमती के माता-पिता को वह राजकुमार पसंद आया और उन्होंने कहा कि शिवजी की कृपा से हम अपनी पुत्री का विवाह आपसे करना चाहते है, क्या आप इस विवाह के लिए तैयार हैं? राजकुमार ने अपनी स्वीकृति दे दी तो उन दोनों का विवाह संपन्न हुआ. बाद में राजकुमार ने गंधर्व की विशाल सेना के साथ विदर्भ पर हमला किया और घमासान युद्ध कर विजय प्राप्त की तथा पत्नी के साथ राज्य करने लगा. वहां उस महल में वह पुजारी की पत्नी और पुत्र को आदर के साथ ले आया तथा साथ रखने लगा.

पुजारी की पत्नी तथा पुत्र के सभी दुःख व दरिद्रता दूर हो गई और वे सुख से अपना जीवन व्यतीत करने लगे. एक दिन अंशुमती ने राजकुमार से इन सभी बातों के पीछे का कारण और रहस्य पूछा, तब राजकुमार ने अंशुमती को अपने जीवन की पूरी बात बताई और साथ ही प्रदोष व्रत का महत्व और व्रत से प्राप्त फल से भी अवगत कराया. उसी दिन से प्रदोष व्रत की प्रतिष्ठा व महत्व बढ़ गया तथा मान्यतानुसार लोग यह व्रत करने लगे. 

सुप्रीम कोर्ट अवमानना केस में प्रशांत भूषण दोषी करार, 20 अगस्त को सुनाई जाएगी सजा

केरल में बढ़ा कोरोना का आतंक, एक दिन में मिले सबसे ज्यादा संक्रमित

कोरोना से जंग जीतकर पहली बार बाहर निकले अमिताभ, किया यह अनोखा काम

रिलेटेड टॉपिक्स
- Sponsored Advert -
मध्य प्रदेश जनसम्पर्क न्यूज़ फीड  

हिंदी न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_News.xml  

इंग्लिश न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_EngNews.xml

फोटो -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_Photo.xml

- Sponsored Advert -