प्रभातफेरी या जुलूस....यह रहेगा समय उत्तम
प्रभातफेरी या जुलूस....यह रहेगा समय उत्तम
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धार्मिक अवसरों पर जुलूस आदि निकाला जाता है या फिर प्रभातफेरी का भी आयोजन किया जाता है। इस अवसर पर तैयारियां तो धूमधाम से की ही जाती है वहीं लोग भी बड़ी संख्या में शामिल होते है, लेकिन धार्मिक जुलूस या प्रभातफेरी निकालने के लिये साधकों द्वारा समय का सुनिश्चिय बताया गया है।

साधकों की यदि माने तो प्रभात फेरी जुलूस यात्रा के लिये सूर्योदय से दो डेढ़ घंटे पूर्व से लेकर सूर्योदय तक का समय उपयुक्त रहता है। यह भी कहा गया है कि भले ही शामिल होने वाले लोग सुबह सबेरे गहरी नींद में हो लेकिन उन्हें यदि शामिल होना है तो न केवल जल्दी उठना चाहिये वहीं आयोजकों को भी एक दिन पूर्व ही चलने की बात पक्की कर लेना चाहिये।

इसके अलावा महिलाओं को पीले या केसरिया साड़ी धारण करना उत्तम माना गया है तो वहीं पुरूषों को सफेद वस्त्र धारण करना चाहिये। संभव हो तो जब तक जुलूस या प्रभातफेरी समाप्त न हो जाये, बीच रास्ते से बाहर नहीं निकलना चाहिये।

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