मजदूरों की कमी से जूझ रहे उद्यमी, जानें कैसे चला रहे कामकाज
मजदूरों की कमी से जूझ रहे उद्यमी, जानें कैसे चला रहे कामकाज
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कोरोना के कहर के बीच पंजाब में श्रमिकों की कमी के संकट से निपटने के लिए किसान और उद्यमी खुद कदम उठा रहे हैं. दूसरे राज्यों से कामगारों को लाने के लिए बसें भेजी जा रही हैं. बरनाला से 14 ट्रांसपोर्ट कंपनियों की 105 बसों के जरिए दूसरे राज्यों से श्रमिकों को लाया जा चुका है.

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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि धान की रोपाई के लिए मजदूरों की किल्लत से जूझ रहे किसानों ने अपने स्तर पर बसें भेजकर बाहरी राज्यों से मजदूरों को लाना शुरू कर दिया है.  पिछले 15 दिन में केवल बरनाला से ही 14 ट्रांसपोर्ट कंपनियों की 105 बसें उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा, आंध्र प्रदेश समेत कई राज्यों में भेजी गईं. गांव तपा, धनौला, महलकलां, शैहणा, भदौड़, ठीकरीवाला, संघेड़ा, फरवाही, कैरे, सुखपुरा, खुड्डी व हंडिआया गांवों से गईं इन बसों में करीब चार हजार मजदूरों को लाया गया. इसके लिए किसानों ने पहले प्रशासन से बात की और फिर पास के लिए ऑनलाइन आवेदन किया. रहने, खाने-पीने के साथ हर तरह की सुविधा देने का किसानों ने मजदूरों से वादा किया तब वे राजी हुए. किसान बसें लेकर खुद गए और श्रमिकों को लेकर आए. 

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अपने बयान में बरनाला के किसान गुरमेल सिंह व बलजिंदर सिंह और शेरपुर बड़ी के लाडी सिंह ने बताया कि उनके पास 100 एकड़ जमीन है. 31 मई को वे बस लेकर बरेली रवाना हो गए और वहांसे 35 मजदूर ले आए . एक बस का खर्च करीब 50 हजार चुकाना पड़ रहा है. गांव अतरगढ़ के किसान जगवीर सिंह, भदलवड़ के दीपइंद्र सिंह, नंगल के बग्गा सिंह, सुरजीत सिंह, मक्खन सिंह, जरनैल सिंह व जगसीर सिंह ने बताया कि धान की रोपाई का काम रुका था. वे किसानों को प्रति एकड़ तीन हजार रुपये व भोजन के साथ-साथ लाने और जाने का खर्च अदा करेंगे. वही, जो मजदूर बचे थे, उन्होंने प्रति एकड़ तीन हजार के बजाय रेट डबल कर दिए. संगरूर में दो पंचायतों ने ज्यादा पैसे मांगने पर उनके सामाजिक बहिष्कार का एलान भी कर दिया था.

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