जनसंख्या के बढ़ने से हर मोर्चे पर प्रभावित होता है मानव
जनसंख्या के बढ़ने से हर मोर्चे पर प्रभावित होता है मानव
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भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र जिस देश के अपने संसाधन हैं. जो देश एशिया में एक उभरती हुई शक्ति है और चीन, जापान जैसे देशों के ही साथ अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन, रूस जैसे राष्ट्रों के साथ कई अंतर्राष्ट्रीय मसलों पर कदम ताल करता है, मगर इस देश के सामने भी कई परेशानियां हैं। क्या आपने इस देश की सरकारों और नेताओं को एक बात का वायदा करते हुए सुना है। वह यह है कि यदि हमारी सरकार बनी तो हम रोजगार बढ़ाऐंगे। लोगों को रोजगार दिया जाएगा। न जाने कितनी ही सरकारें बदल गईं मगर रोजगार और संसाधन लोगों तक सही तरह से पहुंचाना फिर भी एक परेशानी बनी रही।

ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जितनी मात्रा में प्रति वर्ष रोजगार बढ़ते हैं संसाधन विकसित होते हैं उतने अनुपात में लोग और जरूरतें बढ़ जाती हैं। नतीजतन संसाधन और रोजगार सिमट जाते हैं। ये रोजगार लोगों के अनुसार सृजित होते हैं मगर फिर भी लोगों को रोजगार की आवश्यकता होती है। कभी सोचा है ऐसा क्यों होता है। दरअसल विश्व की ही नहीं भारत की जनसंख्या भी तेजी से बढ़ती जा रही है। भारत में भी जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है। हालांकि अभी देश की आबादी का अधिकांश भाग युवा वर्ग का है लेकिन करीब 20 साल में यह भाग बच्चों का या बुजुर्गों का भी हो सकता है।

यदि ऐसा होता है तो देश के लिए बोझ और बढ़ जाएगा। बढ़ती जनसंख्या से देश के सामने कई तरह की परेशानियां आती हैं। लोगों के लिए आवास, भोजन, स्वास्थ्य, शिक्षा, बेहतर पर्यावरण आदि सुविधाऐं जुटानी होती हैं लेकिन सीमित होते संसाधनों को प्रसारित करना काफी मुश्किलभरा होता है। वर्तमान में जंगलों को समाप्त कर गांवों और कृषि योग्य भूमि विकसित की जा रही है जो भूमि खेती योग्य है उस पर शहरी सुविधाऐं जुटाई जा रही हैं। लोगों के लिए संसाधन विकसित करने और उनके लिए रोजगार का सृजन किए जाने के ही साथ इंडस्ट्रीज़ का दायरा बढ़ रहा है ऐसे में कृषि योग्य भूमि कम हो रही है।

बढ़ते निर्माण के कारण पेड़ और वन कम हो रहे हैं लिहाजा पर्यावरण पर विपरित असर हो रहा है। बड़े पैमाने पर इंडस्ट्रीज़ स्थापित होने से जमीन, जल और जंगल के ही साथ वायुमंडल प्रभावित हो रहा है। इतना ही नहीं लोगों की सुविधाओं में बढ़ोतरी हुई है। उदाहरण के लिए यदि करीब 20 वर्ष पूर्व 25000 लोग रेफ्रीजरेटर का और 25000 लोग एयर कंडीशंड का उपयोग करते थे तो अब करीब 2500000 से भी ज़्यादा लोग और 200000 से भी अधिक लोग रेफ्रीजरेटर और एयर कंडीशंड का उपयोग करने लगे हैं।

एयर कंडीशंड से कमरे में तो ठंडक होती है लेकिन वातावरण में गर्म वायु का उत्सर्जन होता है दूसरी ओर कई ऐसे उपकरण हैं जो कि ग्रीन हाउस प्रभाव को उत्सर्जीत करते हैं ऐसे में यह वायुमंडल व ओजोन परत के लिए नुकसानदायक होता है। वायुमंडल की आजोन परत को नुकसान पहुंचना सभी के लिए घातक है। इससे सूर्य की पराबैंगनी किरणें भी धरती तक पहुंचती है और इसके दुष्परिणाम सामने होते हैं। इतना ही नहीं जनसंख्या बढ़ने से कई तरह की परेशानियां होती हैं। व्यक्ति को कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।

व्यक्ति अपने कार्यस्थल और विभिन्न स्थानों पर प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता है। फिर मांग व पूर्ति के नियम के कारण उसकी जरूरत के अनुसार उसे पारिश्रमिक भी नहीं मिलता। इसका असर उसके सामाजिक जीवन पर भी पड़ता है और व्यक्ति का जीवन प्रभावित होता है। जनसंख्या में बढ़ोतरी व्यक्ति को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्षतौर पर प्रभावित करती है। इसी के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए प्रतिवर्ष 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है। इस दिन जनसंख्या वृद्धि के कारकों पर चर्चा कर जनसंख्या को नियंत्रित करने की पहल की जाती है। जिससे लोगों को बेहतर स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार, पर्यावरण और सुखी सामाजिक आवरण मिल सके।

'लव गडकरी'

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