विकास में बाधा है ये राजनेता
विकास में बाधा है ये राजनेता
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कहते है किसी भी देश का राजनेता उसका रक्षक होता है . जो कि देश में होने वाले अपराधों को रोक सके और उनके खिलाफ कार्यवाही कर सके. वही अगर राजनेता ही अपराध करेंगे तो उस देश अपराध से कभी दूर नहीं होगा, और ना ही उसका विकास होगा. आज हम अपने देश के कुछ ऐसे ही राजनेताओ के बारे में जानेंगे. जिनपर आपराधिक मामले दर्ज़ है. इनमे से कुछ नेता तो सुप्रीम कोर्ट द्वारा दण्डित भी किये जा चुके है.                                          

दिग्विजय सिंह  

कांग्रेस नेता और मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह अपने बयानों के चलते हमेशा सुर्खियों में बने रहते है. दिग्विजय सिंह लगातर दो बार मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके है. और राजनीती में अपने सफर के दौरान उनका नाम भी घोटालो में शामिल रहा. आपको बता दे कि मुख्यमंत्री पद पर पदस्त होने के कार्यकाल में उनपर प्रदेश में हुए 750 करोड़ के क़र्ज़ आबंटन के घोटाले का आरोप लगा. जिसकी पूरी जाँच ईओडब्लू को सौपी गयी थी. वही  इससे पहले भी विधानसभा में नियुक्ति के दौरान गबन का आरोप लगा, जिसपर केस दर्ज़ किया गया था. वही अपने बचाव में सिंह हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. वही इन मामलों पर वर्त्तमान में जाँच के बाद फैसला आना बाकी है.

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सोनिया गाँधी

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को किसी परिचय की जरुरत नहीं. हम सभी जानते है कि सोनिया गाँधी कौन है.  लेकिन हम आपको बता दे कि भारतीय जनता पार्टी के राजनेता डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा सोनिया गाँधी पर नेशनल हेराल्ड मामले में गंभीर आरोप लगाए गए.  जिसमे आरोप था कि सोनिया गाँधी ने कांग्रेस पार्टी द्वारा लोन दिए जाने के एवज में नेशनल हेराल्ड की दो हज़ार करोड़ की संपत्ति जब्त कर ली  है. जिसके चलते दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट द्वारा सोनिया गाँधी को समन भेजा गया. और कोर्ट में उपस्थित होने को कहा गया. जिसपर उनके वकील द्वारा इस समन को ख़ारिज करने की मांग की गयी. जिसे कोर्ट ने नकार दिया , और सोनिया गाँधी को कोर्ट आना पड़ा. जहा कोर्ट का मानना था कि नेशनल हेराल्ड  मामले पर उचित जांच कर आरोपियों को सजा सुनाई जाएगी. बता दे कि अब तक इस मामले कोई फैसला नहीं आया है.

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मुलायम सिंह यादव 

उत्तर प्रदेश में तीन बार मुख्यमंत्री रेह चुके मुलायलम सिंह यादव का राजनैतिक सफर बहुत शानदार रहा. 1992  में मुलायम सिंह ने समाजवादी पार्टी की शुरुआत की. अपने मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान  बड़े खाद्यान्न घोटाले में उनका नाम आया. सरकार द्वारा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन चलाया गया. जिसमे जरुरत मंदो के राशन कार्ड बनाकर अनाज मुहैया कराया जाना था. लेकिन जाँच में सामने आया कि राशन कार्ड ऑनलाइन बनाये गए, जिसमे डाटा की सही जाँच किये बिना ही कार्ड बना दिए गए. साथ ही ऐसे लोगो के कार्ड भी बनाये गए थे जो इस कार्ड के लिए दावेदार नहीं थे. घोटाले की बात सामने आने पर जाँच रिपोर्ट को आधार रख कर जिलाधीश  द्वारा 1 लाख राशन कार्ड ख़ारिज कर दिए गए. वही इस घोटाले पर जाँच जारी है.

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विजय शाह

विजय शाह मध्यप्रदेश के पूर्व नेता और हरसूद से बीजेपी विधायक है. विजय शाह पर हरसूद विधायक चुनाव में मतदान के दौरान हुए विवाद के चलते हत्या की धमकी देने का मामला दर्ज हुआ. आपको बता दे कि मतदान के दौरान विजय शाह और कांग्रेस नेता बसंत पंवार के बीच विवाद हुआ, जहां शाह ने आवेश में आकर पंवार को हत्या की धमकी दे दी. जिसके बाद शाह के खिलाफ तीन अलग धारा लगाकर केस दर्ज किया गया. जिसके बाद मामला शांत होने पर विजय शाह पर लगी धराए हटा दी गयी थी.

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सुरेश कलमाड़ी

भारतीय राजनेता सुरेश कलमाड़ी पूर्व भारतीय ओलम्पिक संघ प्रेसिडेंट है. अपने कार्यकाल के दौरन  कलमाड़ी पर 2010 में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स की तैयारी के दौरान बड़े पैमाने पर घोटाला करने का आरोप लगा. जिसकी संपूर्ण जाँच सीबीआई द्वारा की गयी थी. वही जाँच में सामने आया की कलमाड़ी ने अपने बेटे के सहयोग से घोटाले का सारा पैसा ग्रेटर नॉएडा में ऍफ़ 1 सर्किट प्रोजेक्ट में लगा दिया था. जिसके बाद विपक्ष ने उनके इस्तीफे की भी मांग की थी. बता दे कि इतने बड़े गबन पर जाँच पूरी की जा चुकी है. वही अब कोर्ट का फैसला का इंतज़ार है.

 

मायावती

भारतीय समाजवादी पार्टी की मुखिया मायावती का भी नाम घोटाल से दूर नहीं है. आपको बता दे कि साल 2007 में जब उत्तर प्रदेश में बसपा की सरकार बनी, तब मायावती ने मुख्यमंत्री पद संभाला था. उन्होंने अपने कार्यकाल में लखनऊ और नोएडा में पार्को और स्मारकों का नवनिर्माण और पुनःनिर्माण कराया था. जिसपर लोकायुक्त द्वारा जांच में घोटाले की बात सामने आयी.साथ ही पता चला कि  इस स्मारक निर्माण कार्य में 14 अरब रुपये का घोटाला किया गया है. जिसके तहत मायावती समेत घोटाले से जुड़े लोगो पर मुक़दमा दर्ज किया गया. जिसपर वर्त्तमान में किसी के खिलाफ कोई फैसला अब तक नहीं आया है.

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आज़म खान

अपने विवादित बयानों के चलते सुर्खियों में रहने वाले आज़म खान भी इस दौड़ में पीछे नहीं है. आपको बता दे कि पूर्व नगर विकास मंत्री आज़म खान पर 2016  में हुई जल निगम में भर्ती  के दौरान नियुक्ति में घोटाले का आरोप लगा. जिसकी शियाकत निगम के ही कुछ अधिकारियो ने की थी. वही सरकार ने घोटाले पर प्रतिक्रिया दिखाते हुए मामले की जाँच एनआईटी की टीम को सौप दी. जिसके बाद जाँच में सामने आया कि निगम में 1300 पदों पर भर्ती होनी थी. लेकिन भर्तियों में भ्रष्टाचार के चलते अयोग्य उम्मीदवारों का भी चयन कर लिया गया. जाँच टीम की रिपोर्ट के बाद सरकार द्वारा 122 चयनित सहायक अभियंताओं को उनके पदों से निष्काषित किया गया. लेकिन खान पर कोई कार्यवाही कोर्ट द्वारा नहीं की गयी है. लेकिन खान पर इस मामले को लेकर कार्यवाही नहीं की गयी है. मामले पर सुनवाई जारी है.

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 देश में सुधर लाने वाले राजनेता जब अपनी व्यक्तिगत स्तिथि को सुधारने में जुट जायेंगे. तो देश के विकसित की कल्पना भी असंभव हो जाएगी.

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