राजनीतिक दल नहीं होगे RTI के दायरे में -सरकार
राजनीतिक दल नहीं होगे RTI के दायरे में -सरकार
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नई दिल्ली : मोदी सरकार हमेशा से राजनीतिक दलों को सूचना के अधिकार (RTI) कानून के दायरे में शामिल करने के ख़िलाफ़ है. सुप्रीम कोर्ट को मोदी सरकार ने बताया कि यदि 'सार्वजनिक संस्थान' के नाम पर राजनीतिक दलों को आरटीआई के दायरे में शामिल कर लिया जाता है तो उनके सहज संचालन पर इसका असर होगा. खबरों के मुताबिक सरकार का मानना है कि ऐसा करने से राजनीतिक विरोधियों को अपने बुरे इरादों के साथ जानकारियां हासिल करने के लिए हथियार भी मिल जाएगा.

कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DOPT) द्वारा सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में दिए गए हलफ़नामे में कहा गया कि जब आरटीआई कानून को जारी किया गया था तो इस बात पर कोई विचार नहीं किया गया था कि राजनीतिक दलों को पारदर्शिता लाने वाले इस कानून में शामिल किया जाएगा. 'भ्रामक निष्कर्ष' हलफ़नामे में कहा गया है कि जन प्रतिनधित्व कानून (RPA) 1951 और आयकर अधिनियम में राजनीतिक दलों के वित्तीय मामलों में पारदर्शिता लाने के लिए ज़रूरी प्रावधान हैं. एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही सुप्रीम कोर्ट के नोटिस पर सरकार ने यह हलफ़नामा जारी किया.

इस याचिका में सभी राष्ट्रीय, क्षेत्रीय राजनीतिक दलों को 'सार्वजनिक संस्था' बनाने और आरटीआई कानून के दायरे में शामिल करने की मांग की गई थी. मोदी सरकार ने बताया की केंद्रीय सूचना आयुक्त (CIC) ने आरटीआई कानून की धारा 2 (एच) की उदार व्याख्या की है जिससे यह भ्राम निष्कर्ष निकलता है कि राजनीतिक दल को सार्वजनिक संस्थाएं होना चाहिए.

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