नई दिल्ली: मंगलवार को राज्यसभा की कार्यवाही के दौरान छह दिन की गंभीरता के बाद सदन में हल्के-फुल्के और हंसी-ठहाकों के पल नजर आए। सभापति जगदीप धनखड़ ने समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद प्रोफेसर रामगोपाल यादव से मार्गदर्शन देने की बात कही, जिससे सदन का माहौल थोड़ा हल्का हो गया।
धनखड़ नियम 267 के तहत चर्चा की मांग पर आए 42 नोटिसों का जिक्र कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कुछ सदस्यों ने कई नोटिस दिए हैं, जिससे यह तय करना मुश्किल हो गया है कि किसे प्राथमिकता दी जाए। उन्होंने प्रोफेसर यादव से कहा कि उन्हें नियमों का पालन करना होगा ताकि समानता बनी रहे। इस पर यादव ने हंसते हुए कहा कि, “आप तो सर्वज्ञ हैं, मेरी बात भी सुन लीजिए।” सभापति ने विनम्रता से जवाब दिया कि शून्यकाल में उन्हें बोलने का अवसर दिया जाएगा। शून्यकाल में बोलते हुए प्रोफेसर रामगोपाल यादव ने उत्तर प्रदेश के संभल जिले की घटना को उठाया। उन्होंने बताया कि 19 नवंबर को एक वकील ने पांच सौ साल पुरानी मस्जिद के सर्वे की अर्जी दी थी। सर्वे भी शांतिपूर्ण तरीके से हो गया, लेकिन अगले दिन सुबह अचानक संभल को छावनी में बदल दिया गया। बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया गया, और डीएम व एसपी ढोल-नगाड़े बजाते हुए मस्जिद में प्रवेश कर गए।
यादव ने आरोप लगाया कि इस कार्रवाई के दौरान पुलिस ने गोलीबारी की, जिसमें पांच लोग मारे गए और 20 से अधिक घायल हुए। सैकड़ों लोगों पर मुकदमे दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया गया। यादव ने यह भी कहा कि पिछले चुनावों में जबरदस्ती चुनाव कब्जा करने से ध्यान भटकाने के लिए यह सब योजनाबद्ध तरीके से किया गया। सभापति ने यादव को बीच में रोकते हुए कहा कि उन्होंने अपनी बात रख ली है। इस तरह चर्चा का यह गंभीर विषय हल्के-फुल्के माहौल के साथ समाप्त हुआ।