मुनीर नियाज़ी की डायरी से . . .
मुनीर नियाज़ी की डायरी से . . .
Share:

1. आ गई याद शाम ढलते ही
बुझ गया दिल चराग़ जलते ही.


2. आँखों में उड़ रही है लुटी महफ़िलों की धूल
इबरत-सरा-ए-दहर है और हम हैं दोस्तो.

रिलेटेड टॉपिक्स
- Sponsored Advert -
मध्य प्रदेश जनसम्पर्क न्यूज़ फीड  

हिंदी न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_News.xml  

इंग्लिश न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_EngNews.xml

फोटो -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_Photo.xml

- Sponsored Advert -