ज़ाकिर भाई की सख्ती को सलाम . . .
ज़ाकिर भाई की सख्ती को सलाम . . .
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1. तुझे खोने का खौफ जबसे निकला है बाहर,
तुझे पाने की जिद भी टिक न सकी दिल में…


2. वो तितली की तरह आयी और ज़िन्दगी को बाग कर गयी
मेरे जितने भी नापाक थे इरादे, उन्हें भी पाक कर गयी।

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