मोदी ने संसद में पड़ा शेर : मुझे गिरा के अगर तुम संभल सको तो चलो !
मोदी ने संसद में पड़ा शेर : मुझे गिरा के अगर तुम संभल सको तो चलो !
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नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा का जवाब दे रहे थे। तब मोदी ने सदन चलने देने के लिए विपक्ष को धन्यवाद दिया और कहा कि राज्यसभा में नेता गुलाम नबी आजाद का धन्यवाद देना चाहता हूँ। अगले विधानसभा चुनाव में 30 प्रतिशत टिकट निरक्षरों को दिए जाएंगे। आगे पीएम ने कहा कि आजाद ने भोपाल जाकर देखा कि किस-किस को जनधन योजना का लाभ नहीं मिल रहा है, इतना ही नहीं उन्होने इसकी रिकॉर्डिंग तक कर लाई। विपक्ष को ऐसा करना चाहिए। इतनी मेहनत अगर उन्होने सत्ता में रहते हुए की होती, तो मुझे मेहनत करने की जरुरत नहीं पड़ती।

पीएम ने कहा क्यों ने 2020 तक किसानों की आय दोगुनी हो जाए। मैं मनमोहन जितना ज्ञानी नहीं हूँ, लेकिन फिर भी कुछ बातें जरुर जानता हूँ। गरीबों को मैंने नजदीक से देखा है, लेकिन अगर सही दिशा में आगे बढ़ा जाए, तो कामयाबी जरुर मिलेगी। मोदी ने राहुल पर फिर से निशाना साधते हुए कहा कि दुनिया में दो तरह के लोग होते है, एक काम करता है, तो दूसरा क्रेडिट लेता है।

सरकार की ओर से जब इपीएफ पर टैक्स की घोषणा को सरकार ने वापस ले लिया, तो राहुल ने कहा था कि ये सब मेरी मेहनत का नतीजा है। इसी पर मोदी ने कहा कि आप इसमें से पहली तरह का इंसान बनने की कोशिश कीजिए। इसमें मेहनत कम है। ये बात इंदिरा जी ने कही थी। पीएम ने कहा कि 30 साल पहले गंगा की सफाई का काम शुरु हुआ था।

लेकिन अब तक नदी साफ नहीं हुई। बताइए 30 साल बाद भी गंगा साफ क्यों नही हुई। आगे पीएम ने कहा कि हमेशा सरकार की खिंचाई करने वाली मीडिया भी स्वच्छता अभियान में हिस्सा ले रही है। पीएम ने कांग्रेस को निशाना बनाते हुए कहा कि मृत्यु को एक ऐसा वरदान है कि मृत्यु कभी बदनाम नहीं होती, कभी मृत्यु पर आरोप नहीं लगते।

कोई कैंसर से मरता है, तो आरोप कैंसर पर लगता है, मृत्यु पर नहीं। कोई बड़ी उम्र में मरता है तो कहते हैं कि बड़ी आयु से मरा है. कभी-कभी मुझे लगता है कि कांग्रेस के पास भी ऐसा ही वरदान है। कहा जाता है कि विपक्ष पर हमला हो रहा है लेकिन ये नहीं कहा जाता कि कांग्रेस पर हमला हो रहा है।

आखरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा में निदाल फाजली का शेर पढ़ा, ''सफर में धूप तो होगी, जो चल सको तो चल। सभी हैं भीड़ में, तुम भी निकल सको तो चलो। किसी के वास्ते राहें कहां बदलती हैं, तुम अपने आपको खुद ही बदल सको तो चलो। यहां किसी को कोई रास्ता नहीं देता, मुझे गिराके अगर तुम संभल सको तो चलो। यही है जिंदगी कुछ ख्वाब चंद उम्मीदें, इन्हीं खिलौनों से तुम भी बहल सको तो चलो।''

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