नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 6 देशो की यात्रा के बाद सोमवार रात को स्वदेश लौट आये है. उन्हें इस यात्रा को सफल बताया. मध्य एशिया के पांच देशों और रूस का अपना आठ दिवसीय दौरा संपन्न कर सोमवार देर रात करीब 1 बजकर 20 मिनट पर स्वदेश लौट आये हैं. भारत को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की पूर्ण सदस्यता प्राप्त हो गयी है. प्रधानमंत्री ने इस यात्रा को भारत के सम्बन्धो को मजबूत बनाने वाली यात्रा बताया.
मोदी अपनी यात्रा के अंतिम पड़ाव में ताजिकिस्तान पहुंचे थे और यहां के नेतृत्व के साथ बातचीत के बाद सोमवार रात दिल्ली के लिए रवाना हुए. प्रधानमंत्री ने अपनी इस ऐतिहासिक यात्रा का शुभारम्भ 6 जुलाई को किया था. वह सबसे पहले उज्बेकिस्तान गए थे. यात्रा के दौरान भारत और उज्बेकिस्तान ने परमाणु उर्जा, रक्षा और व्यापार जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में संबंधों को बढ़ावा देने का निर्णय लिया.
उफा में ब्रिक्स और एससीओ सम्मेलन
मोदी अपनी यात्रा के दूसरे पड़ाव में कजाखस्तान गए. दोनों देशों ने सैन्य सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक रक्षा करार और यूरेनियम की आपूर्ति के लिए समझोता सहित पांच महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए. इसके बाद प्रधानमंत्री ब्रिक्स और शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर सम्मेलनों में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाने के लिए अस्ताना से रूस के उफा शहर गए. मोदी ने उफा में विश्व नेताओं के साथ महत्वपूर्ण द्विपक्षीय बैठक में भाग लिया. पहले दिन उन्होंने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी चिनपिंग से मुलाकात कर विभिन्न मुद्दो पर चर्चा की. मोदी ने ईरानी राष्ट्रपति हसन रूहानी से भी भेंट की और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण चाबहार बंदरगाह परियोजना की के साथ ही कई सारे अन्य मुद्दो पर विचार विमर्श किया.
उफा में तीसरे दिन मोदी एससीओ शिखर सम्मेलन से इतर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से मुलाकात की. बैठक के साथ दोनों देशों के बीच गतिरोध दूर करते हुए दोनों नेताओं ने ठप पड़ी वार्ता प्रक्रिया को बहाल करने और मुंबई आतंकी हमला मामले की सुनवाई को गति देने का निर्णय दिया था जिस पर कल पाकिस्तान ने पलटी मारी.
समझौतों और वार्ता की यात्रा
पीएम मोदी ने उफा में अपने प्रवास के दौरान मोदी ने ब्रिक्स नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें कीं और ब्रिक्स एवं एससीओ शिखर सम्मेलनों में समिल्लित हुए. एससीओ शिखर सम्मेलन के दौरान भारत को संगठन का पूर्ण सदस्य का दर्ज मिला. इसके बाद प्रधानमंत्री अश्गाबात गए, जहां तुर्कमेनिस्तान के नेतृत्व के साथ वार्ता के बाद उन्होंने दस अरब डॉलर की लागत वाली तापी पाइपलाइन परियोजना के शीघ्र क्रियान्वयन पर जोर दिया.
इसके बाद मोदी वहां से किर्गिजस्तान की राजधानी बिश्केक गए जहां भारत और किर्गिजस्तान ने रक्षा सहयोग को बढ़ावा देने और वाषिर्क संयुक्त सैन्य अभ्यास आयोजित करने से जुड़े चार अनुबंधों पर अपने हस्ताक्षर किये. प्रधानमंत्री ने अपनी यात्रा को ताजिकिस्तान में विराम दिया.