छात्रों के बीच पहुंचे PM मोदी, छात्रों को किया सम्बोधित
छात्रों के बीच पहुंचे PM मोदी, छात्रों को किया सम्बोधित
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नई दिल्ली : शिक्षक दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिल्ली के मानेकशाॅ स्टेडियम में बच्चों के बीच पहुंचे। इस दौरान केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी भी उनके साथ मौजूद थी। इस दौरान केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि सपने तब पूरे होते हैं जब मन में विश्वास हो और उसके लिए कोई शुरूआत हो। उन्होंने कहा कि सपने देखिए संकल्प लीजिए और उसमें विश्वास के साथ शुरूआत कीजिए। इस दौरान खचाखच भरे सभागार में विद्यार्थियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी का जोरदार स्वागत किया। कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पूर्व राष्ट्रपति सर्वपल्ली डाॅ. राधाकृष्णन पर आधारित सिक्के भी जारी किए गए।

भारत सरकार के वित्त मंत्रालय ने 10 रूपए और 125 रूपए के सिक्के तैयार किए। साथ ही कला से जुड़ी वेबसाईट का लोकार्पण भी किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विद्यार्थयों को शिक्षक दिवस के अवसर पर संबोधित किया।  इस दौरान उन्होंने कहा कि शिक्षक की पहचान विद्यार्थी होता है। विद्यार्थी अपने पराक्रम से अपने गुरूजन का नाम रोशन करता है और शायद ही दुनिया में कोई ऐसा व्यक्ति होगा जो इस बात को स्वीकार न करता हो कि उसके जीवन को बनाने में उसकी माता और शिक्षक का योगदान न हो। कितनी ही बायोग्राफी और आॅटोबायोग्राफी पढ़ लें इस बात के उदाहरण हैं। मां जन्म देती है और गुरू जीवन देता है। हम लोगों के मन पर भी शिक्षक का प्रभाव होता है। लोगों के जीवन में शिक्षक द्वारा कही गई कोई तो ऐसी बात होगी जो हमारे जीवन का हिस्सा बन गई। 

विद्यार्थी के जीवन में शिक्षक का महात्मय क्या है और शिक्षक के जीवन में विद्यार्थी का महत्व क्या है यह जब तक आपसी समझदारी विकसित होती है तब तक एक व्यर्थ बना रहता है। शिक्षकों को अपने जीवनकाल के यादगार विद्यार्थियों के जीवन पर कुछ लिखना चाहिए। यदि शिक्षक के जीवन में विद्यार्थी नजर न आए तो मैं मानता हूं वह शिक्षक अधूरा है। एक आयु के बाद विद्यार्थी सबसे ज्यादा समय जिसके बाद बिताता है वह शिक्षक ही होता है।

शिक्षक का बहुत ही बड़ा दायित्व होता है। डाॅ. राधाकृष्णन ने अपने भीतर के शिक्षक को अमर बनाए रखा था। शिक्षक कभी रिटायर्ड हो ही नहीं सकता है। वे गांव में पोतों को भी पढ़ाते हैं। उनकी रगों में शिक्षकत्व रहा है जो उसे इस काम को करने की प्रेरणा देता है। उन्होंने कहा कि गुरू की बात को जीवनभर नहीं भूलना चाहिए। उन्होंने डाॅ. अब्दुल कलाम का उल्लेख करते हुए कहा कि यदि लोगों को मुझे याद रखना है तो एक शिक्षक के तौर पर याद रखें। राष्ट्रपति पद से मुक्त होने के अगले दिन उन्होंने चेन्नई में बच्चों को पढ़ाना प्रारंभ कर दिया यही नहीं अंतिम समय भी वे बच्चों के साथ चिंतन में ही लगे रहे।

वे विद्यार्थी से अलग नहीं हो पाए और विद्या के मार्ग से अलग नहीं हो पाए और हरपल नई प्रतिभाओं को खोजते रहे। उन्होंने एक आंगनवाड़ी महिला कार्यकर्ता का उल्लेख करते हुए उसके कार्य का उल्लेख किया। एक शिक्षक ने बच्चों को बहुत बड़ा संस्कार दिया। हम जिस तरह का जीवन चाहते हैं वह जीवन बनता है। शिक्षक भी एक एक बालक को संभालता है। यह व्यवसाय अन्य व्यवसाय से अलग है। यदि हमें अच्छे इंजीनियर, साईंटिस्ट मिले होंगे तो उसके पीछे अच्छे शिक्षकों का योगदान होगा और उन्होंने ही देश को बनाया होगा।

हर चीज़ रूपए पैसे से संस्कार से होती है। शिक्षक दिवस पहले भी मनाया जाता था। प्रेरक पर्व को हमारी व्यवस्था को प्राणपण किस तरह से बनाया जाए। इसके लिए प्रयास किया जा रहा है। बालक मन हमे सिखाता है उतना कोई नहीं सिखाता है। घटना को बालक सही दर्पण से देखता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि देश रोबोट तैयार नहीं करना चाहता। हमें रोबोट बनने से बचना है हमारे भीतर संवेदना हो। यह कला से आती है। बिना कला के जीवन रोबोट जैसा बन जाता है कला उत्सव के माध्यम से विद्यार्थियों की प्रतिभाओं को निखारने का अवसर दिया जाता है। कला उत्सव में जितने ड्रामे आते हैं उस पर ध्यान दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारा काम पीढि़यों को बनाना और बढ़ाना है इसे सभी मिलकर करेंगे ऐसी अपेक्षा है। शिक्षा का उद्देश्य अब बदला जाना जरूरी है।

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