उपेक्षितों व दलितों की न्यायपालिका में भागीदारी है जरूरी
उपेक्षितों व दलितों की न्यायपालिका में भागीदारी है जरूरी
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नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय की स्वर्ण जयंती आज विज्ञान भवन में मनाई गई। उच्च न्यायालय को 50 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न्यायाधीशों, न्याययिक अधिकारियों और प्रमुख नेताओं के बीच उपस्थितों को संबोधित करते हुए कहा कि न्याय की प्रक्रिया में उपेक्षितों और दलितों की भागीदारी बहुत आवश्यक है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दबे - कुचले लोगों को तंत्र में लाने के पक्ष में नज़र आए।

उन्होंने कहा कि जो वर्ग दबा हुआ है उसे सिस्टम में लाना होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कहा कि उन्हें न्यायालय जाने का अवसर नहीं मिला है। मगर वहां के बारे में लोगों से सुना है जिसमें कहा गया है कि वहां पर माहौल बेहद गंभीर होता है। उन्होंने कहा कि यहां बैठे लोगों पर भी वहां के माहौल का असर नज़र आ रहा है। आखिर माहौल में इतनी गंभीरता क्यों बनी हुई है। जब न्यायालय के 50 वर्ष सेलिब्रेट किए जा रहे हैं तो फिर आपको मुस्कराना चाहिए।

दूसरी ओर सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर ने जजेस की नियुक्ति का मामला उठाया।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस दौरान कहा कि न्यायपालिका के लिए इस मौके पर एक अच्छा रोड मैप तैयार किया जा सकता है। उन्होंने यह स्वीकार किया कि न्यायपालिका पर कार्य का दबाव है बड़े पैमाने पर प्रकरणों का बोझ न्यायालयों पर बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि यदि एक शिक्षक अपना कोई प्रकरण जीत जाता है तो उस तरह के अन्य मामलों का निर्णय सरकार अपने स्तर पर कर सकती है यदि ऐसा होता है तो न्यायपालिका का काम कम हो सकता है।

गौरतलब है कि इस आयोजन में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जजेस के फोन टेपिंग की बात कही थी। उन्होंने कहा कि दो जजेस को यह कहते हुए सुना कि फोन पर बात मत करो इसे टैप किया जाता है। यदि यह बात सही है कि न्यायपालिका में फोन टेपिंग की जा रही है तो फिर न्यायपालिका की स्वतंत्रता कहां है।

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