आज़ादी के अमृत महोत्सव में बोले पीएम मोदी- 'सैकड़ों वर्षों की गुलामी में हमारे समाज ने जो गंवाया है, वो...'
आज़ादी के अमृत महोत्सव में बोले पीएम मोदी- 'सैकड़ों वर्षों की गुलामी में हमारे समाज ने जो गंवाया है, वो...'
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नई दिल्ली: पीएम नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ‘आज़ादी के अमृत महोत्सव’ से स्वर्णिम भारत की ओर’ प्रोग्राम में भाग लिया। उन्होंने इस कार्यक्रम का उद्घाटन किया। समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ब्रह्मकुमारी संस्था के द्वारा ‘आज़ादी के अमृत महोत्सव से स्वर्णिम भारत की ओर’, कार्यक्रम का आरंभ हो रहा है। हमें ये भी मानना होगा कि स्वतंत्रता के पश्चात् के 75 वर्षों में, हमारे समाज में, हमारे राष्ट्र में, एक बुराई सबके अंदर घर कर गई है। ये बुराई है, अपने कर्तव्यों से विमुख होना, अपने कर्तव्यों को सर्वोपरि ना रखना। आज हम एक ऐसी व्यवस्था बना रहे हैं जिसमें पक्षपात की कोई जगह न हो, एक ऐसा समाज बना रहे हैं, जो समानता तथा सामाजिक न्याय की बुनियाद पर मजबूती से खड़ा हो, हम एक ऐसे भारत को उभरते देख रहे हैं, जिसकी सोच और अप्रोच नई है, और जिसके फैसले प्रगतिशील हैं। इस समारोह में स्वर्णिम भारत के लिए भावना भी है, साधना भी है। इसमें देश के लिए प्रेरणा भी है, ब्रह्मकुमारियों की कोशिश भी हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा, दुनिया जब अंधकार के गहरे दौर में थी, महिलाओं को लेकर पुरानी सोच में जकड़ी थी, तब भारत मातृशक्ति की पूजा, देवी के रूप में करता था। हमारे यहाँ गार्गी, मैत्रेयी, अनुसूया, अरुंधति तथा मदालसा जैसी विदुषियाँ समाज को ज्ञान देती थीं। मुश्किलों से भरे मध्यकाल में भी इस देश में पन्नाधाय एवं मीराबाई जैसी महान नारियां हुईं। तथा अमृत महोत्सव में भारत जिस स्वाधीनता संग्राम के इतिहास को याद कर रहा है, उसमें भी कितनी ही महिलाओं ने अपने बलिदान दिये हैं। कित्तूर की रानी चेनम्मा, मतंगिनी हाजरा, रानी लक्ष्मीबाई, वीरांगना झलकारी बाई से लेकर सामाजिक क्षेत्र में अहल्याबाई होल्कर तथा सावित्रीबाई फुले तक, इन देवियों ने देश की पहचान बनाए रखी।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, हमें अपनी संस्कृति, अपनी सभ्यता, अपने संस्कारों को जीवंत रखना है, अपनी आध्यात्मिकता को, अपनी विविधता को संरक्षित तथा संवर्धित करना है, और साथ ही, टेक्नोलॉजी, इनफ्रास्ट्रक्चर, एजुकेशन, हेल्थ के इंतजामों को लगातार आधुनिक भी बनाना है। अमृतकाल का ये वक़्त, सोते हुए सपने देखने का नहीं बल्कि जागृत होकर अपने संकल्प पूरे करने का है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, आने वाले 25 वर्ष, परिश्रम की पराकाष्ठा, त्याग, तप-तपस्या के 25 वर्ष हैं। सैकड़ों सालों की गुलामी में हमारे समाज ने जो गंवाया है, ये 25 सालों का कालखंड, उसे दोबारा प्राप्त करने का है। हम सभी को, देश के प्रत्येक नागरिक के हृदय में एक दीया जलाना है- कर्तव्य का दीया। हम सभी मिलकर, देश को कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ाएंगे, तो समाज में व्याप्त बुराइयां भी दूर होंगी और देश नई ऊंचाई पर भी पहुंचेगा।

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