ऑटोमोबाइल क्षेत्र छेल रहा मंदी की मार, इलेक्ट्रिक वाहनों पर सरकार का रुख बरकरार
ऑटोमोबाइल क्षेत्र छेल रहा मंदी की मार, इलेक्ट्रिक वाहनों पर सरकार का रुख बरकरार
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इलेक्ट्रिक वाहनों को लेकर ऑटोमोबाइल क्षेत्र में मंदी के बावजूद सरकार अपनी तैयारियों में कोई ढिलाई बरतने नहीं जा रही है. सरकार इस संबंध में अपने लक्ष्य को लेकर बिल्कुल स्पष्ट है. माना जा रहा है कि सरकार डीजल और पेट्रोल जैसे परंपरागत ईंधन से चलने वाले वाहनों को हतोत्साहित करने के लिए आने वाले समय में उन पर टैक्स का बोझ और बढ़ा सकती है. साथ ही इलेक्ट्रिक वाहनों को और प्रोत्साहन दिए जा सकते हैं. आइए जानते है पूरी जानकारी विस्तार से 

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अपने बयान में नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत का कहना है कि हम इंडस्ट्री के रोडमैप का इंतजार कर रहे हैं. हम उन उद्देश्य और लक्ष्यों को लेकर बिल्कुल स्पष्ट हैं, जिन्हें हासिल करना चाहते हैं. हम यह निजी क्षेत्र की भागीदारी के साथ करना चाहते हैं. सरकार ने हमारे शहरों को स्वच्छ बनाने, नागरिकों के जीवन स्तर को सुधारने, तेल आयात कम करने और मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने के लिए भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के आंदोलन को गति देने के लिए हरसंभव उपाय किया है. अब निजी क्षेत्र की बारी है कि वह भी अपना योगदान करे। अब उन्हें स्वच्छ वाहनों का चैंपियन बनने के लिए नेतृत्व करना चाहिए.कांत का यह बयान इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि सरकार 2023 के बाद 150 cc से कम क्षमता वाले दोपहिया और 2025 के बाद तिपहिया की बिक्री पर पूरी तरह रोक लगाने और उनकी जगह इलेक्ट्रिक वाहन को बढ़ावा देने की योजना बना रही है. इसे लेकर ऑटो इंडस्ट्री खासा चिंतित है। इंडस्ट्री का कहना है कि सरकार की तरफ से कोई स्पष्ट दिशानिर्देश नहीं मिलने की वजह से उनके लिए भविष्य की रणनीति पर काम करना मुश्किल हो रहा है.कांत ने कहा, "पूर्व की गलत नीतियों के चलते हम मोबाइल, टेलीकॉम उपकरण और पीवी सोलर का आयात करने वाले देश बन गए हैं। हम इलेक्ट्रिक वाहनों के मामले में ऐसा नहीं होने देंगे. हम समुचित उपाय करते हुए घरेलू बाजार और निर्यात के लिए मेक इन इंडिया पर जोर जारी रखेंगे. हम भारत को वैश्विक बाजार के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों का हब बनाएंगे."

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मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के मकसद से पेट्रोल-डीजल वाहनों पर टैक्स का बोझ बढ़ा सकती है, ताकि उनके इस्तेमाल को हतोत्साहित किया जा सके. इससे जो राशि आएगी, उसका इस्तेमाल इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने पर किया जाएगा. उल्लेखनीय है कि इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए जीएसटी काउंसिल ने पिछली बैठक में ईवी पर जीएसटी की दर घटाकर पांच फीसद करने का फैसला किया है. इससे पूर्व आम बजट 2019-20 में भी इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए उपायों का एलान किया जा चुका है. इसके तहत अगर कोई व्यक्ति कर्ज लेकर इलेक्ट्रिकक वाहन खरीदता है, तो ब्याज के भुगतान के एवज में वह 1.5 लाख रुपये तक की छूट का लाभ ले सकते है.

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