जानिए पीएम नरेंद्र मोदी से जुड़ी 5 अनकही कहानियां
जानिए पीएम नरेंद्र मोदी से जुड़ी 5 अनकही कहानियां
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आज पीएम नरेंद्र मोदी आज अपना जन्मदिन मना रहे है, पीएम मोदी साल 2014 के पश्चात् से एक दमदार वैश्विक नेता के रूप में उभरे हैं। कई बड़े अवसरों पर उन्होंने फैसला लेने की क्षमता से देश तथा विश्व को दिखाया है कि वे इरादे के कितने पक्के हैं। वे अपने आलोचना को भी पॉसिटिविटी के साथ लेते रहे हैं। उन्होंने अपने भाषणों में बताया कि आलोचना से उन्हें और अधिक अच्छा करने की प्रेरणा प्राप्त होती है। साल 1950 में इसी दिनांक को उनका जन्म हुआ था तथा वे इस बार 71 साल पूरा कर अपनी जिंदगी के 72वें साल में प्रवेश कर रहे हैं। आयु के इस पड़ाव पर आकर भी नरेंद्र मोदी ऊर्जावान बने हुए हैं। पीएम की जिंदगी यूं तो एक खुली किताब की भांति रहा है, मगर काफी सारे लोगों के लिए प्रधानमंत्री मोदी की जिंदगी की कई कहानियां अनकही हैं, कई किस्से अनसुने हैं। आइए आज कुछ ऐसे ही किस्सों के बारे में जानते हैं।

1- वक्तृत्व कला में बचपन से माहिर थे मोदी:-
नरेंद्र की स्कूली पढ़ाई बडनकर में ही हुई। वे बचपन से ही भाषण की कला में माहिर थे। आज उनके भाषणों में बेहद असर नजर आता है। अपने भाषणों से वे प्रत्येक श्रेणी को आकर्षित कर लेते हैं। उनके भाषणों से ऐसा व्यक्त होता है कि वे प्रत्येक विषय के विद्वान हैं। हालांकि इसके पीछे उनकी संघर्ष तथा तैयारी होती है। काफी सारे विषयों पर पीएम नरेंद्र मोदी अच्छा ज्ञान रखते हैं।

2- दमदार आवाज, तैराकी में भी अव्वल:-
नरेंद्र मोदी में बचपन से ही ज्ञानी रहे हैं। वे कई प्रकार की पाठ्येत्तर गतिविधियों में माहिर रहे हैं। उन्हें साइंस तथा इतिहास विषय बहुत पसंद रहे हैं। पढ़ाई में अच्छा होने के साथ-साथ वे शेरो-शायरी के लिए भी जाने जाते थे। आज भी उनके भाषणों में इसका प्रभाव नजर आता है। उनके विद्यालय में उनकी आवाज तथा अभिनय कला की भी बातचीत की जाती है। इतना ही नहीं नरेंद्र मोदी बचपन से ही एक अच्छे तैराक भी रहे हैं।

3- बचपन में संन्यासी बनना चाहते थे प्रधानमंत्री मोदी:-
पीएम नरेंद्र मोदी बचपन से ही संन्यासी बनना चाहते थे। गुजरात के वडनगर में पैदा हुए नरेंद्र को बचपन से साधु जिंदगी तथा संन्यास बेहद पसंद था। एक बार तो वे घर छोड़कर भी चले गए थे। 6 भाई-बहनों के परिवार में नरेंद्र मोदी का बचपन निर्धनता में बीता है। बडनगर रेलवे स्टेशन पर उनके पिता की चाय की दुकान थी तथा वे विद्यालय से आने के पश्चात् चाय बेचा करते थे। वे युवावस्था की दहलीज पर थे तथा सिर्फ 17 साल की आयु में घर छोड़ वे अपनी आध्यात्मिक यात्रा पर निकल गए थे।

4- शहनाई वादकों को​ इमली दिखा करते थे परेशान:-
नरेंद्र मोदी बचपन में नटखट भी थे। एक शरारती किस्से का जिक्र उन्होंने मन की बात प्रोग्राम में भी किया था। उन्होंने कहा था कि वे शहनाई बजाने वालों को इमली दिखा दिया करते थे, जिससे उनके मुंह में पानी आ जाए तथा वे शहनाई ना बजा पाएं। शहनाईवादक गुस्सा होकर नरेंद्र मोदी के पीछे भी दौड़ते थे। उनका कहना है कि शरारतों से भी बच्चों का विकास होता है। हालांकि उन्होंने यह भी बताया था कि शरारत के साथ बच्चों को अध्ययनa पर भी ध्यान देना चाहिए।

5- मगरमच्छ के बच्चे को ही पकड़ लाए थे मोदी:-
नरेंद्र मोदी के बचपन का यह किस्सा भी बेहतरीन है। वे अपने बचपन के मित्र के साथ शर्मिष्ठा सरोवर गए थे तथा वहां से एक मगरमच्छ के बच्चे को ही पकड़ ले आए थे। तब उनकी मां हीरा बा ने उन्हें समझाया था कि बच्चे को मां से अलग कर देना कितनी ख़राब बात है। मां की बात समझने पर वे वापस मगरमच्छ के बच्चे को सरोवर छोड़ आए थे।

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