'ताज महल शाहजहां ने बनवाया था, इसके कोई सबूत नहीं..', सुप्रीम कोर्ट से सच पता लगाने की मांग
'ताज महल शाहजहां ने बनवाया था, इसके कोई सबूत नहीं..', सुप्रीम कोर्ट से सच पता लगाने की मांग
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लखनऊ:  आगरा का ताज महल (Taj Mahal) एक मकबरा है या कोई प्राचीन मंदिर? इसका पता लगाने की अपील करते हुए सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) में याचिका दाखिल की गई है। इसमें कहा गया है कि इस बात के कोई वैज्ञानिक प्रमाण मौजूद ही नहीं हैं कि मुग़ल बादशाह शाहजहाँ (Shah Jahan) ने ताज महल बनवाया था। विवाद निपटारे और समारक की असली पहचान का पता लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट से एक फैक्ट फाइंडिंग कमेटी (Fact Finding Committee) का गठन करने की मांग की गई है।

यह याचिका रजनीश सिंह ने वकील समीर श्रीवास्तव के जरिए सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की है। याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया है कि उन्होंने ताज महल को लेकर RTI के जरिए NCERT से इस संबंध में जानकारी माँगी थी। जवाब में उन्हें बताया गया कि ताज महल का निर्माण शाहजहाँ द्वारा करवाए जाने को लेकर कोई प्राथमिक स्रोत मौजूद नहीं है। इस संबंध में याचिकाकर्ता द्वारा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) से भी RTI के तहत जानकारी माँगी गई थी। लेकिन उन्हें वहाँ से भी संतोषजनक जवाब नहीं मिला।

सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया है कि, 'कहा जाता है कि मुगल बादशाह शाहजहाँ ने अपनी बेगम मुमताज महल के लिए 1631-1653 के बीच ताजमहल बनवाया। मगर, इसे साबित करने के लिए कोई वैज्ञानिक प्रमाण मौजूद नहीं है। लिहाजा ताज महल के वास्तविक इतिहास का अध्ययन करने और विवाद को ख़त्म करने के लिए फैक्ट फाइंडिंग कमेटी का गठन किया जाए।' बता दें कि, इसी साल एक RTI के जवाब में ASI ने जानकारी दी थी कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि ताज महल में कब से और किसकी अनुमति से नमाज पढ़ी जा रही है। इसके बाद स्मारक में मजहबी गतिविधियों को बंद करने की माँग उठने लगी थी।

इस संबंध में इतिहासकार राजकिशोर ने RTI फाइल की थी। अगस्त 2022 में ही एक पार्षद ने आगरा नगर निगम में ताज महल का नाम ‘तेजो महालय’ करने का प्रस्ताव भी पेश किया था। प्रस्ताव लाने वाले पार्षद शोभाराम राठौर का कहना था कि ताज महल में हिंदू सभ्यता से संबंधित कई चिन्ह मिलने की बात कही जाती है। इसे देखते हुए उन्होंने इसका नाम बदलने का प्रस्ताव पेश किया था। 

बता दें कि जयपुर के राजघराने की सदस्य और भाजपा से सांसद दीया कुमारी ने दावा करते हुए था कि जिस स्थान पर ताज महल स्थित है, वो भूमि उनकी थी। दीया कुमारी ने ताज महल के बंद दरवाजों को खोलने के लिए दाखिल की गई याचिका की प्रशंसा करते हुए कहा था कि इससे असलियत निकलकर बाहर आएगी। इसके साथ ही उन्होंने ये भी दावा किया था कि उनके पास ऐसे दस्तावेज़ हैं, जिससे ये साबित होता है कि ताज महल जयपुर के पुराने शाही परिवार का पैलेस था। हालाँकि इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ बेंच ने 12 मई 2022 को ताज महल के 20 कमरों को खोलने की याचिका ठुकरा दी थी। इस फैसले के खिलाफ ही अब शीर्ष अदालत में अपील की गई है।

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