अब सुप्रीम कोर्ट से तलाक-ए-हसन को रद्द करने की मांग, जानिए तीन तलाक़ और इसमें क्या है फर्क ?
अब सुप्रीम कोर्ट से तलाक-ए-हसन को रद्द करने की मांग, जानिए तीन तलाक़ और इसमें क्या है फर्क ?
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नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय में मुस्लिम धर्म में तलाक लेने के एक तरीके को लेकर याचिका दाखिल की गई है, जिसका नाम है तलाक-ए-हसन (Talaq-E-Hasan). अदालत में दाखिल की गई इस याचिका में तलाक-ए-हसन और ऐसी अन्य प्रक्रिया को अवैध ठहराने के साथ निरस्त करने की मांग की गई है. गाजियाबाद की बेनजीर हीना द्वारा शीर्ष अदालत में वकील अश्वनी उपाध्याय के माध्यम से तलाक को लेकर याचिका दाखिल की गई है. वहीं, इस याचिका में कहा गया है कि तीन तलाक़ कानून में सिर्फ तलाक-उल-बिद्दत (Talaq Ul Biddat) को अपराध घोषित किया गया है.

याचिकाकर्ता का कहना है कि ट्रिपल तलाक़ कानून में तलाक-उल-बिद्दत के अलावा तलाक-ए-अहसन और तलाक-ए-हसन को असंवैधानिक, अवैध या आपराधिक अपराध घोषित नहीं किया गया है. तलाक से संबंधित तमाम रूप असंवैधानिक घोषित नहीं किए गए हैं. बता दें कि इस्लाम में तलाक लेने के तीन तरीके हैं, जिसमें तलाक-ए-अहसन, तलाक-ए-हसन और तलाक-उल-बिद्दत शामिल है. ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर तलाक-ए-हसन क्या होता है और इसमें तलाक लेने का क्या प्रक्रिया होती है.

क्या है तलाक-ए-हसन?

तलाक-ए-अहसन मुस्लिमों में तलाक की सर्वाधिक मान्य प्रक्रिया है. इसमें कोई भी शख्स अपनी पत्नी को एक बार तलाक देता है, किन्तु वह  पत्नी को छोड़ता नहीं है. पत्नी, शौहर के साथ ही रहती है. यदि तीन महीने के अंतराल में दोनों के बीच सुलह नहीं होती है, तो तीन महीने की इद्दत अवधि पूरी होने के बाद तलाक प्रभावी हो जाता है और दोनों के बीच पति-पत्नी का रिश्ता ख़त्म हो जाता है. तलाक-ए-हसन में पति अपनी पत्नी को एक-एक माह के अंतराल पर तलाक देता है, इस बीच यदि दोनों में रिश्ता नहीं बना या सुलह नहीं हुई तो तीसरे महीने तीसरी बार तलाक कहने पर उनका रिश्ता समाप्त हो जाता है. इसमें तलाक प्रति माह के अंतराल पर कहा जाता है.

क्या होता है तलाक-ए-अहसन?

वहीं, तलाक-ए-अहसन में शौहर जब एक बार ही बीवी को तलाक कह दे, तो वो तलाक मान लिया जाता है. इसके बाद इद्दत का समय शुरू हो जाता है और यह समय 90 दिन का होता है. बताया जाता है कि इस दौरान पति-पत्नी के बीच शारीरिक संबंध स्थापित नहीं कर सकते. यदि इन 90 दिनों के दौरान पति-पत्नी संबंध बना लेते हैं, तो तलाक अपने आप रद्द हो जाता है. यानी तलाक-ए-अहसन को घर में ही ख़त्म किया जा सकता है.

ट्रिपल तलाक़ कानून में कौनसा तलाक़ है असंवैधानिक?

बता दें कि सर्वोच्च न्यायालय ने एक ही बार में तीन तलाक यानी तलाक-ए-बिद्दत को असंवैधानिक घोषित कर दिया था. मगर, तलाक के दूसरे तरीके अभी भी वैध हैं और वे पहले की तरह ही लागू हैं. तीन तलाक को तलाक ए बिद्दत कहा जाता है. इसे सबसे सामान्य तरीका माना जाता है. इसमें पति एक बार में तीन बार 'तलाक' कहकर बीवी को तलाक दे देता है. इसके बाद शादी फ़ौरन टूट जाती है. इस तलाक़ को वापस नहीं लिया जा सकता.

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