असम में इनर लाइन परमिट लागू करने की मांग, सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल
असम में इनर लाइन परमिट लागू करने की मांग, सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल
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नई दिल्ली: असम के लिए इनर लाइन परमिट के प्रबंध की मांग करने वाली याचिका पर शीर्ष अदालत ने नोटिस जारी करते हुए जवाब माँगा है. दो छात्र संगठनों ने बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेग्युलेशन 1873 में किए गए संशोधन को चुनौती दी है. इस संशोधन की वजह से असम में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) लागू हो सकता है. हालांकि, शीर्ष अदालत ने कानून में हुए बदलाव पर रोक लगाने से फिलहाल इंकार कर दिया है.

बता दें कि इनर लाइन परमिट एक तरह का यात्रा दस्तावेज है, जिसे भारत सरकार अपने नागरिकों के लिए जारी करती है ताकि वे किसी संरक्षित क्षेत्र में तय मियाद के लिए यात्रा कर सकें. उल्लेखनीय कि उत्तर-पूर्व के राज्यों के लिए इनर लाइन परमिट शब्द का उपयोग अंग्रेजों के शासनकाल से किया जाता है. ब्रिटिश राज के समय सुरक्षा उपायों और स्थानीय जातीय समूहों के संरक्षण के लिए 1873 के रेग्यूलेशन में इसका प्रावधान किया गया था.

अंग्रेज़ों द्वारा शासित भारत में 1873 के बंगाल-ईस्टर्न फ्रंटियर रेग्यूलेशन एक्ट में ब्रिटिश हितों के लिए ये कदम उठाया गया था, जिसे देश के आज़ाद होने के बाद भारत सरकार ने कुछ संशोधनों के साथ कायम रखा था. मौजूदा समय में उत्तर-पूर्व के तमाम राज्यों में इनर लाइन परमिट लागू नहीं होता है. इनमें असम, त्रिपुरा और मेघालय का नाम शामिल हैं. हालांकि पूर्वोत्तर के प्रदेशों में इसकी मांग उठती रही है. नॉर्थ ईस्ट स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइजेशन की ये मांग रही है कि उत्तर-पूर्व के तमाम सूबों में इनर लाइन परमिट व्यवस्था लागू की जाए.

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